दावत पर शायरी
दावत मुझे वही अच्छी लगती है
जहाँ तेरे शब्दों की खीर मिले
क्या कहा! इश्क़ मर गया ?
ऐलान कराओ कल दावत है
ये इतनी दावते ना दो हमें साहब
एक रोज़ ये दावते हम पर कर्ज़ बन जाएंगी
कभी चुका पाए तो कोई बात नही
अगर नाकाम रहे तो जिल्लत बन जाएंगी
जिंदा रहने पर तो रोटी भी नहीं मिलती
और मरने पर लोग यहां दावते करते हैं
जिस दिन मैं कामयाब इंसान बनूंगा
उस दिन मेरे घर में स्वादिष्ट व्यंजनों की
दावत रखी जाएगी मगर देखना
जलने की बदबू तुम्हारे घर से आएगी
जबसे ये ज़ुबाँ सच बोलने की पाबंद हो गयी है
दोस्तों की दावतें आनी बिलकुल बंद हो गयी है
बीते पलों को याद कर
फिर कौन वक़्त बर्बाद करे
खबर आई है वो मौज में हैं
चलो इस बात पर फिर दावत करें
जब किसी फ़र्द को दावत मिलती है
तो उनके क़ल्ब को इशरत मिलती है
Invitation Status & Shayari
हज़ार मन्नते मांगले रब से तू
फिर भी इबादत में नही मिलेगी
ये मोहब्बत है जनाब, दावत में नही मिलेगी
थोड़ा सा जहर ले आओ कहीं से
मैंने सारी खवाहिशो को दावत पर बुलाया है
लहजा-ए-खानपान देखा मेरे महबूब का
दावत-ए-इश्क़ की जरूरत सी लग गयी
दावत-ए-इश्क़ उस को दे न सके
ता-दम-ए-ज़ीस्त ये मलाल रहा
मौत तो बस भूखी है ज़िंदगी की
मौत की इकलौती दावत है ज़िंदगी
सोचती हूँ धोखे से ज़हर दे दूँ
सभी ख्वाहिशों को दावत पे बुला कर
क्या जमाना आ गया है
अब वो लोग दावातें कर रहे है
मुझसे अलग होकर
जो कभी मुझसे पहले खाना नहीं खाया करते थे
Dawat Shayari
दावत करो, दिखावा नहीं
दावत तो खुशियों को देनी पड़ती है
हम तो बिन बुलाए मेहमान है
बिछाकर दस्तरखान अपने घर के आंगन में
दबी हुई ख्वाइशो को कल दावत पर बुलाया है
कबूल है तुम्हारी दावत
जो तुम बुलाओ चाय पे
मानते तयोहार इश्क़ का हैँ साहब
लेकिन दावत जिस्म को दिया जाता है
बेहतरीन दोस्त जो नेकी की तरफ दावत दे
बेहतरीन दावत जिसमें
गरीबों को नज़र अंदाज़ न किया जाए
दावत एक प्यार भरा संदेश है
सबके दिलों में लाता ये प्रेम है
इसकी ना कोई धर्म ना जात है
ये दिवाली और ईद दोनों पे मुस्कुराता है
क्या हमने आपको कभी दावत दी थी
इस दिल से दिल को लगाने की
आप तो वैसे भी बेबस थे
जिन्हें बस किसी के सहारे की जरूरत थी
Daawat Shayari
अमीर की दावत में ये चर्चा आम हो गया
जो शख़्स भूखा था, वो बदनाम हो गया
हर जगह त्यौहार इश्क का और
दावत जिस्म की नहीं होती
कई जगह मोहब्बत
रूह से रूह की भी होती है
वक़्त उसको मिटा नहीं सकता
मौत ने जिसको खुद दावत दी है
दुश्मनों के दावते दुश्मनी में रखा
प्याला जहर का था जो मै पी गया
हैरत तो तब हो गए सब के सब
जब हालते इश्क़ में थोड़ा मै जी गया
आज बुलाया है बारिश को
इश्क -ए- दावत पर
अश्क हैं कि चले आते हैं बिन बुलाये
आज तुमको बुलाएँगे हम इश्क़ की दावत में
तुम्हारी तश्तरी में हम अपना दिल परोसेंगे
सोच रहा हूं धोखे से जहर दे दूं
सभी सपनों को दावत पर बुलाकर
सपना रहेगा, ना ख्वाहिश रहेगी
रह जाएगा तो बस हकीकत-ए-इश्क
दूसरों के सुलगते रिश्तों पर
अपनी रोटियाँ ना सेकना कभी
मक्कारी की दावत से भुखमरी अच्छी है
दावत हैं तुम सबको मेरे मौत की
मैं लौट कर ना आऊंगी तुमको बुलाने को
जल्दबाज़ी ज़िंदगी का जायका
ख़राब कर देती है
कुछ चीजो में ज़रा
इतमिनान रखना चाहिऐ
चाहे वो इश्क हो, इबादत या दावत
दावत का काम आसान होता तो
मेरे नबी को तकलीफे नही होती
दावत-ए-इश्क़ शायरी
दावत-ए-इश्क़ में वो भी आए है
जो तोहफे में चाकू और खंज़र लाए है
दावतें-इश्क का ख्याल लेकर बैठे हैं
तेरे प्यार का प्यास ना खत्म हो ऐसे
तेरे हर लम्हे को इस तरह जिना है ऐसे
जैसे मुलाकात अभी नयी-नयी हुई हो
ये महफिलें ये रौनकें और
ये मेले हसीनों के अजीब लगते है गालिब
दावत-ए-इश्क़ पे बुलाते है
और तंग लिबासों में भरे जिस्म परोसते हैं
दावत-ए-इश्क़ में हम तेरे साथी हो गए
जब साथ निभाने की बारी आयी तो
आप हमे मुशफिर कह गये
बातें चटपट चाट वाली
दावतें इश्क़ वाली!...
कर लो तुम्हें जितनी भी दावत करनी हो
हमे तो सिर्फ थोड़ा दावत-ए-इश्क़ चखा देना
दावत-ऐ-इश्क़ सजा कर तहज़ीब दिखाते हो
इश्क़ की क़ुरान को क्या तुम मज़हब सिखाते हो
Dawat-E-Ishq Shayari
दर्द ए इश्क का पैगाम तो हमे भी आया
इत्तेफ़ाक से उसको किसी और के हाथ में भी पाया
दावत-ऐ-इश्क़ में जितना भी खालो
भूख तो लगती ही है वापस
नजरे से बयां करती है दावत-ए-इश्क़
दिल-ए-धड़कन इजहार करती है गहरी-ए-मोहब्बत
हिंदी उर्दू मिला कर हर शब कुछ पकाता हूं
आइये दावत-ए-इश्क़ पे मैं आपको बुलाता हूं
तेरे होंठों की लाली में है दावत-ए-इश्क़
तेरी मुस्कुराहट में है दावत-ए-इश्क़
तेरी मासूमियत में है दावत-ए-इश्क़
तेरी मोहब्बत भरी चाहत में भी है दावत-ए-इश्क़
दावत-ए-इश्क़ है
आना जरूर दिल-ए-मोहब्बत लेकर
Dawat Quotes In Hindi
मैं लिखता हूं अपने दिल की कलम से
तुम अपने दिल की
दावत-ए-श्याही का नजराना तो भेजो और
बहुत ही खूबसूरत होगी वो शायरी
अरे हजूर जरा वाह वाह फर्मा के तो देखो
हो अगर ख्वाइश तो
इस गरीब के दर पे दावत मे आजाना
मटन बिरयानी तो नहीं लेकिन
अंडा बिरयानी जरूर खिला देंगे
बड़े दरयादिल समझते हैं खुद को वो लोग
जो अमीरों की महफिल में
दावतें बांटते फिरते हैं
उन्होंने जो दावत दी हमें गले लगने की
कुबूल हमने भी की बड़ी बैचेनी से
हम छिड़कते रहे उन पर जान और वो करते रहे हमे बदनाम
सहीं जिल्लतें लाखों ओर ताने मिले इनाम
इतना सब जानकर भी वो बनते है अनजान कुछ ऐसे
दावतों में उनकी हम बिन बुलाये मेहमान हो जैसे
सारे गमों को आज दावत पे बुलाया है मैंने
जो तुम आ गईं तो उन सबको जहर दे दूँगा
मुझे तुझसे प्यार है तो तुझे ही तो दिखाऊंगा
फालतू मैं हल्ला
क्यों मैं अपने इश्क का मचाहूंगा
पता तो सबको चल ही जाएगा एक दिन
जब तेरी और अपनी शादी की दावत
मैं अपने घर में रखाऊंगा
बाहर में भी पतझड़ से बिखर गए हम
दरीया से भी प्यासे लौट गए हम
यूं तो कमी नहीं है दावत ए मोहब्बत की हमें
फिर भी एक बस उसकी उल्फत को तरस गए हम
किसी के बेहद करीब जाना भी
अपने दर्द को दावत देने जैसा है
इश्क की दावतों में अक्सर
लिफाफो में दिल दिए जाते हैं
बाप ने उम्र भर की कमाई लगा दी
बारात की दावत खिलाने में
तुम्हें शर्म जरा भी ना आयी
खाने को कचरे में गिराने में
प्यार एक चाहत सी है
अजीब सी राहत सी है
अनजानी सी बगावत सी है
खुशियों की दावत सी है
Dawat Status
खुदगर्ज मोहब्बत का एक जश्न मनाएंगे
टूटे दिल वालों को दावत में बुलाएंगे
दावते-ए-सुखन देता हूं मैं अपने रहबर को
कि वो आए मुझे सुकून-ए-हमदर्द दे जाए
अब कैसे भूले तुम्हें
तुम मेरी दवात में घुल गये हो
सवार कलम पे होकर अब स्याही बारात लायी है
निकाह लफ़्जो का हुआ दावत में गज़़ल बनायी है
सुना था के लोग प्यार में मरने की दावत देते हैं
लेकिन तुमसे मिलने के बाद
पता चला के लोगों को कुछ भी नहिं पता हैं
क्युंकि तुमने तो मेरी जान लेकर
अपनी ज़िन्दगी की दावत ली!
दावत-ए-जज़्बात का फरमान आया
उनका चेहरा आईने में नजर आया
हम तो हुस्न की वकालत में शामिल होने गए थे
होंठो के अल्फाजों को दिल में उतर आया
चलो आज रंगों में इश्क की मिलावट करते है
आज तस्तरी में प्यार परोस के
जज्बातो की दावते करते हैं
एक दिन उस मौत को
दावत में जरूर बुलाऊंगा
उस दिन उसे जी भर के खिलाऊंगा
दावत दि है हमने अपने दोस्त को
इसलिए नही के हमने उन्हे पा लिया है
बल्कि इसलिए के
वो किसी और के होकर बेहद खुश है
चलो ना, आज दावत है वहाँ इश्क़ की
थोड़ा दर्द मिलेगा, थोड़ी ग़ज़ल पकेगी
Invitation Quotes In Hindi
कुछ यूँ मेरी क़लम की कमाई हैं
जो किसी ग़रीब की दावत के तो काम आई हैं।
तलाशते हैं पत्थरों को ज़मीन पर बैठकर
करते हैं दावत का इंतज़ार भूख़ की आशा में
दावत तो मैंने ख्वाबों को दिया था मगर
ख्वाहिशों ने मुझे जमकर लूटा
वफ़ा की ईंटों पर जो इश्क़ क़ायम हुआ था
धोखे की नमी से वो इंच इंच टूटा
दावत दी है आज लफ़्ज़ों को मैंने महफ़िल में
अगर बात जम गयी तो ग़ज़ल भी हो सकती है
जब कोई पैदा होता है तो दावत
और जब कोई मर भी जाता है
तब भी दावत
इस महीने में खाली ना रहो
अपने आपको इन कामो में मशगूल रखो
ज़िक्र में या
तिलावत में, दावत में या इबादत में
फकीरों पर कहां कोई करता है यारो रहम
ज़माने की ना पूछो बड़ा ही है ये बेरहम
अमीरों के घर भेजते हैं रोज दावतनामा
गरीबों को रोटी खिलाने में करते हैं शरम
पर्दे उठने लगे है लोगों के चेहरे से
भीड़ में भी अकेला खुद को पा रहा हूं
जिंदगी को मस्ती में जीता था कभी
अब मौत को दावत दे रहा हूं
शहर-वालों की मोहब्बत का मैं क़ाएल हूँ मगर
मैंने जिस हाथ को चूमा वही ख़ंजर निकला
दावत-ए-इश्क दी थी मैंने जरुर,
मगर उसे तो मेरे चौदहवीं की खीर ही खानी थी
दावत दी है हमने वबा को
ये सबमे ज़ाहिर है
आइनों की क्या ज़रूरत
अब कहा बचा कोई ताहिर है
दूर दूर तक कोई इफ्तार की
दावत नज़र नहीं आ रही
बताओ कब बुला रहे हो
मुझे आप इफ्तार पर
तेरी मौजूदगी ही है मुझमें जो मैं ज़िंदा हूँ
वरना मैंने तो कब का मौत को दावत दे रखी है
Captions On Dawat
आज चार कंधों पर बैठकर तसल्ली मिली
दावत ख़ुदा के यहाँ, जान जाने पर मिली
तुम भी जानते हो, हम भी जानते है
आए है हम तो फ़रमाइशें हमारी हज़ारो होगी
पर हमारा दिल तो इसी खयाल से झूम रहा था
की तुमने हमारे आने की ख़ुशी में
दावत जरूर सजाई होगी
मौत और मोहब्बत दोनों वो मेहमान हैं
जो बिना निमंत्रण के जीवन कि दावत खाने आती हैं
लिखता हूं ना दावत सब लोग आना
देता हूं तुम्हें गालियां तुम खूब खाना
कोई गुस्सा ना करना क्योंकि नाम ही था
ना दावत
नज़र से नज़र भर तकना भी दावत-ए-मौत है
और हमने ये दावत स्वीकार की थी
एक रोज दावत दी थी मुझे उन्होंने खाने की
खुदा की मर्जी तो देखो हमारा उपवास था
औरों को क्या ही बुलायें हम दावत में
हम तो खुद ही भूखे बैठे हैं बगावत में
गरीबी में अकसर आटा गीला हो जाया करता है
जिक्र हमारा ही हो रहा इस कहावत में
फिर सितारों की महफिल होगी
चांद ने फिर हमें दावत दी है
तुम चले आओ
आंखों ने दावत भेजी है
Dawat-E-Zindagi Shayari
अग़र चख पाते तेरी मोहब्बत का ज़ायका
तो दावात-ए-ज़िन्दगी का स्वाद निराला होता
यूँ तो सब कुछ परोसा है, ज़िन्दगी की दावत ने
पर तेरी प्रीत जो होती तो फिका ना ये
इश्क़ का प्याला होता
प्यार के दावत पे बुलाना है
उस शख्स को जो जान से प्यारा है
मगर डर इस बात का है
कहीं गुस्से में आकर
हमारी ही जिंदगी का कत्ल-ए-दावत ना करदे
दावत पे आई है "ज़िंदगी"
वो जो मांग रही है मैं दे रहा हूँ
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