Mehfil Shayari
मुझ से छीन कर ख़्वाब कहीं और दिखाए गए
कल शाम महफ़िल में कई ग़म छुपाए गए
किस को पता था मेरी आँखों में हैं आँसू
एक तेरी याद आई फिर क्या सब रुलाए गए
देखें अब रहता है किस किस का गरेबाँ साबित
चाक-ए-दिल लेके तिरी बज़्म से दीवाने चले
क़द ओ गेसू लब-ओ-रुख़्सार के अफ़्साने चले
आज महफ़िल में तिरे नाम पे पैमाने चले
तुम बताओ तो मुझे किस बात की सजा देते हो
मंदिर में आरती और महफ़िल में शमां कहते हो
मेरी किस्मत में भी क्या है लोगो जरा देख लो
तुम या तो मुझे बुझा देते हो या फिर जला देते हो
तुम करोगे याद इक दिन इस प्यार के जमाने को
चले जायेंगे जब हम कभी ना वापस आने को
करेगा महफ़िल में जब जिक्र हमारा कोई
तब आप भी तन्हाई ढूंढोगे आँसू बहाने को
महफ़िल में हँसना मेरा मिजाज बन गया
तन्हाई में रोना राज बन गया
दिल के दर्द को जाहिर ना होने दिया
यही मेरे जीने का अंदाज बन गया
गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है
चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है
बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख
तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है
महफ़िल शायरी
वो अपने मेहंदी वाले हाथ मुझे दिखा कर रोई
अब मैं हुँ किसी और की ये मुझे बता कर रोई
कैसे कर लुँ उसकी महोब्बत पे शक यारो
वो भरी महफिल में मुझे गले लगा कर रोई
जिन्हें चाहा शिद्दत से उनका ही दीदार हो जाए
मुमकिन ही नहीं कि हमको फ़िर से प्यार हो जाए
मुकम्मल हो गई होंगी कई कहानी इस महफ़िल में
हमारी भी मुकम्मल हो जाए तो क्या ही बात हो जाए
उतरे जो ज़िन्दगी तेरी गहराइयों में
महफ़िल में रह के भी रहे तनहाइयों में
इसे दीवानगी नहीं तो और क्या कहें
प्यार ढुढतेँ रहे परछाईयों मे
तेरे आने की खुशी में आज महफ़िल सजी है
तेरे दीदार को तरसी अब तलक यह गली है
रुखसार खिल गया जो देखा तुझको रूबरू
तेरी उल्फ़त में शामिल आज देखो हर कली है
हमारे बाद अब महफ़िल में अफ़साने बयां होंगे
बहारे हमको ढूँढेंगी ना जाने हम कहाँ होंगे
ना हम होंगे ना तुम होंगे और ना ये दिल होगा फिर भी
हज़ारो मंज़िले होंगी हज़ारो कारँवा होंगे
देख के हमको वो सर झुकाते हैं
बुला कर महफ़िल में नजरें चुराते हैं
नफरत हैं तो कह देते हमसे
गैरों से मिलकर क्यों दिल जलाते हैं
महफ़िल में कुछ तो सुनाना पड़ता है
ग़म छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है
कभी हम भी उनके अज़ीज़ थे
आज कल ये भी उन्हें याद दिलाना पड़ता है
बेवफाओं के महफ़िल में एक नाम तेरा भी हम जोड़ेंगे
तुमसे मिला ज़ख्म-ए-इश्क को हम कभी ना भूलेंगे
और देखकर दर्द मेरा
तेरा महबूब भी बेवफ़ा है ये लोग बोलेंगे
मेरे दिल का दर्द किसने देखा है
मुझे बस खुदा ने तड़पते देखा है
हम तन्हाई में बैठे रोते है
लोगों ने हमें महफ़िल में हँसते देखा है
Mehfil E Shayari
कोई नालाँ, कोई गिर्यां, कोई बिस्मिल हो गया
उस के उठते ही दिगर-गूँ रंग-ए-महफ़िल हो गया
मिस्ल-ए-परवाना फ़िदा हर एक का दिल हो गया
यार जिस महफ़िल में बैठा शम-ए-महफ़िल हो गया
हम भी ना-वाक़िफ़ नहीं आदाब-ए-महफ़िल से मगर
चीख़ उठें ख़ामोशियाँ तक ऐसा सन्नाटा भी क्या
रंग-ए-महफ़िल चाहती है इक मुकम्मल इंक़लाब
चंद शम्माओं के भड़कने से सहर होती नहीं
भरे हैं तुझ में वो लाखों हुनर ऐ मजमअ-ए-ख़ूबी
मुलाक़ाती तिरा गोया भरी महफ़िल से मिलता है
इस महफ़िल-ए-कैफो मस्ती में
इस अंजुमन-ए-इरफ़ानी में
सब जाम बी-कफ बैठे ही रहे
हम पी भी गए छलका भी गए
भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं
सर-ए-महफ़िल निगाहें मुझ पे जिन लोगों की पड़ती है
निगाहों के हवाले से वो चेहरे याद रखता हूँ
फ़रेब-ए-साक़ी-ए-महफ़िल न पूछिए मजरूह
शराब एक है बदले हुए हैं पैमाने
वो मुझको देखकर कुछ अपने दिल में झेंप जाते हैं
कोई परवाना जब शम-ए-सर-ए-महफ़िल से मिलता है
जाने क्या महफ़िल-ए-परवाना में देखा उस ने
फिर ज़बाँ खुल न सकी शम्अ जो ख़ामोश हुई
Hindi Quotes About Gathering
हाल-ए-दिल बताने से कुछ नहीं हासिल
इसलिए सारे तकलीफों को छुपा रहा था मै
निकलता आंख से आंसू तो बन जाता मजाक
इसलिए भरी महफ़िल में मुस्कुरा रहा था मै
दुनिया की बड़ी महफिल लगेगी
इस जहां का सारा मुकदमा चलेगा
हम हर तरह से बेगुनाह होंगे और
सजा का हक भी हमें मिलेगा
कभी अकेले में तो कभी महफ़िल में
जितना तलाशा सुकून को उतनी मिली तन्हाई
हर पल रही वो साथ मेरे
और मुझे कभी न मिली रिहाई
महफ़िल बेशक तेरे रकीब के यारों की सजी हो
उस महफ़िल में दर्द मेरा ही छलकेगा
कभी डूबना मेरी शायरी की गहराई में
हर शायरी में ज़िक्र तेरा ही निकलेगा
रद्दी क़िस्मत हो जैसे
मेरे हाथों में उसे पाने की रेखा ही नहीं
दिल तो तब टूटा मेरे साहेब
जब महफ़िल में कहा उसने
पहले कभी इस शख़्स को देखा ही नहीं
महफ़िल में बार-बार उन्ही पर नजर गयी
हमने बचाई लाख मगर फिर भी उधर गयी
उनकी निगाह में कोई जादू जरूर है
ये जिस पर पड़ी उसी के जिगर में उतर गयी
सुना है आज शायरों कि महफ़िल सजी है
बयां कईयों के दिल-ए-राज़ होगें
हमें उस महफ़िल कि गलियों से भी तौबा है
वहाँ ना जाने कितने इश्क के बीमार होगें
मैं निहारती रहूं तुम्हें और सुबह से शाम हो जाए
चर्चे इश्क़ के मेरे पूरे महफ़िल में आम हो जाए
इल्तज़ा है अब मेरी रुसवा-ए-इश्क़ में
अधूरी ही सही ये इश्क़ मेरे नाम हो जाए
Mehfil Shayari Hindi
छुपाये दिल में ग़मों का जहान बैठे हैं
तुम्हारी बज़्म में हम बेज़बान बैठे हैं
तेरी महफ़िल में चले आये है किसी अजनबी की तरह
तू भी देख रही है मुझको किसी मुजरिम की तरह
इश्क़ में इस कदर डूबे की दुनिया से शिकवा होना था
उनकी महफ़िल में एक बार अदब से रुसवा होना था
मोहब्बत की महफ़िल में आज मेरा जिक्र है
अभी तक याद हूँ उसको खुदा का शुक्र है
फ़लक़ दुश्मन,मुखालिफ़ ग़र्दिश-ए-अय्याम है साक़ी
मगर हम हैं तेरी महफ़िल है दौर-ए-जाम है साक़ी
सजती रहे खुशियों की महफ़िल
हर महफ़िल ख़ुशी से सुहानी बनी रहे
आप ज़िंदगी में इतने खुश रहें कि
ख़ुशी भी आपकी दीवानी बनी रहे
Hindi Quotes For Gathering
महफ़िल में आँख मिलाने से कतराते हैं
मगर अकेले में हमारी तस्वीर निहारते हैं
महफ़िल में सबको ये बात खल रही है
ऐसे कैसे तेरे मेरे दिल की बात चल रही है
मुझ तक उस महफ़िल में फिर जाम-ए-शराब आने को है
उम्र-ए-रफ़्ता पलटी आती है शबाब आने को है
क़यामत क्या ये है हुस्ने दो आलम होती जाती है
के महफ़िल तो वही है दिलक़शी कम होती जाती है
न तो मैं शोर करता हूँ ये फिर भी जान लेती है
भरी महफ़िल में तन्हाई मुझे पहचान लेती है
तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चिराग़
लोग क्या सादा हैं सूरज को दिखाते हैं चिराग़
अजीब अँधेरा है इश्क़ की महफ़िल में
चलो दिल जला कर रौशनी कर ले
कुछ लोग जमाने में ऐसे भी होते है
महफ़िल में हंसते है तन्हाई में रोते है
Mehfil Shayari 2 Line
तेरी महफ़िल में अभी नज्म़ की इरशाद बाकी है
कोई थोड़ा ही भीगा है अभी तो पूरी बरसात बाकी है
धन-दौलत-हैसियत की ही बात क्यों चलती है ?
महफ़िल इश्क़ करने वालों पर क्यों हँसती है ?
वो शमा की महफ़िल ही क्या जिसमें दिल खाक न हो
मज़ा तो तब है चाहत का जब दिल तो जले पर राख न हो
बज़्म-ए-अग़यार में आराम ये पायेंगे कहाँ
तुझसे हम रूठ के जायेंगे तो जायेंगे कहाँ
तेरे प्यार को अपनी कलम से इस कदर लिख दूंगा
शायरों की महफ़िल में एक दिन अपना नाम कर लूंगा
तेरी महफ़िल सजाने की कसम खाके बैठे है
इसलिए दर्द और आँसुओं को छुपा के बैठे है
जैसे चार चांद लग गए महफ़िल में
जब देखूं इस शाम का नज़ारा
हर गम भी लगता है बस प्यारा
यूं सूरज का चुपके से ढलते जाना
जब से तुमने मेरे दिल को ठुकराया है
भरी महफ़िल में भी खुद को तन्हा पाया है
क़यामत क्या ये अय हुस्न-ए-दो आलम होती जाती है
कि महफ़िल तो वही है दिलकशी कम होती जाती है
उठ के महफ़िल से मत चले जाना
तुमसे रौशन ये कोना-कोना है
Mehfil Ki Shayari
आपकी महफ़िल और मेरी आँखे दोनों भरे-भरे है
क्या करे दोस्त दिल पर लगे जख्म अभी हरे-हरे हैं
सम्भलकर जाना हसीनों की महफ़िल में
लौटते वक्त दिल नहीं पाओगे अपने सीने में
छुपाये दिल में गमों का जहान बैठे है
तुम्हारी बज़्म में हम बेजबान बैठे हैं
लफ्ज़ों की दहलीज पर घायल जुबान है
कोई तन्हाई से तो कोई महफ़िल से परेशान है
कई महफिलों में गया हूं
हजारों मयखाने देखे
तेरी आंखों सा शाकी कहीं नहीं
गुजरे कई जमाने देखे
मोहब्बत करने वाले कम न होंगे
तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे
Mehfil Shayari Love
दिल ना कर मोहब्बत बर्बाद होगा
फिर भरी महफ़िल में
बेवफ़ा के नाम से बदनाम होगा
महफ़िल और भी रंगीन हो जाती हैं
जब इसमें आप शामिल हो जाती है
सौ चाँद भी आ जाएँ तो महफ़िल में वो बात न रहेगी
सिर्फ़ आपके आने से ही महफ़िल की रौनक बढ़ेगी
इश्क़ का दर्द पलता हो जिस दिल में
चर्चा उसकी होती है हर महफ़िल में
तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है
पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है
फुर्सत निकाल कर आओ कभी मेरी महफ़िल में
लौटते वक्त दिल नहीं पाओगे अपने सीने में
जाने कब-कब किस-किस ने कैसे-कैसे तरसाया मुझे
तन्हाईयों की बात न पूछो महफ़िलों ने भी बहुत रुलाया मुझे
कोई चुप, कोई हैरान, कोई बेबस तो कोई लाचार है
ये जिंदगी तेरी महफ़िल में कितना अत्याचार है
दिल-गिरफ़्ता ही सही बज़्म सजा ली जाए
याद-ए-जानाँ से कोई शाम न ख़ाली जाए
इश्क़ की महफ़िल में दर्द को भी मुस्कुराना पड़ता है
महबूब बुलाये तो होठों पर हँसी लेकर आना पड़ता है
सुनकर ये बात मेरे दिल को थोड़ी सी खली
दुश्मन के महफ़िल में भी मेरी ही बात चली
मोहब्बत की महफिलों में खुदगर्जी नहीं चलती
कमबख्त मेरे ही दिल पे मेरी मर्जी नहीं चलती
Gathering Quotes Hindi
महफ़िल में वो इस कदर संवर कर आते हैं
सदियों के लगे जख्म दिल पर, भर जाते हैं
यही सोच के रुक जाता हूँ मैं आते-आते
फरेब बहुत है यहाँ चाहने वालों की महफ़िल में
ये न जाने थे की उस महफ़िल में दिल रह जायेगा
समझे थे कि चले आयेंगे दम भर देख कर
यूँ चले जाते हैं
अपनी ही महफ़िल से रुखसत होकर
यूँ दिल को लगाकर जलाना कोई उनसे सीखे
अकेलापन कभी हमको अकेला कर नहीं सकता
अकेलेपन को हम महबूब की महफ़िल समझते हैं
ऐसा साक़ी हो तो फिर देखिए रंगे-महफ़िल
सबको मदहोश करे होश से जाए ख़ुद भी
महफ़िल में तेरी यूँ ही रहे जश्न-ए-चरागां
आँखों में ही ये रात गुज़र जाए तो अच्छा
इतनी चाहत से न देखा कीजिए महफ़िल में आप
शहर वालों से हमारी दुश्मनी बढ़ जाएगी
आज तू कल कोई और होगा सद्र-ए-बज़्म-ए-मै
साकिया तुझसे नहीं,हम से है मैखाने का नाम
यक-नज़र बेश नहीं फुर्सते-हस्ती गाफिल
गर्मी-ए-बज्म है इक रक्स-ए-शरर होने तक
नज़र नज़र पे सर-ए-बज़्म है नज़र उन की
नज़र नज़र में सलाम-ओ-पयाम होता है
ऐ दिल की ख़लिश चल यूँ ही सहीं चलता तो हूँ उनकी महफ़िल में
उस वक़्त मुझको चौंका देना जब रंग पे महफ़िल आ जाए
शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना
ग़मों की महफ़िल भी कमाल जमती है
कल लगी थी शहर में
बद्दुआओं की महफ़िल
मेरी बारी आई तो मैंने कहा
इसे भी इश्क़ हो.. इसे भी इश्क़ हो..
इसे भी इश्क़ हो..
Shayari For Mehfil
कमाल करते हैं हमसे जलन रखने वाले
महफ़िलें खुद की सजाते हैं और चर्चे हमारे करते हैं
बहुत दिनों बाद तेरी महफ़िल में कदम रखा है
मगर, नजरो से सलामी देने का तेरा अंदाज़ नही बदला
अपनी ही आवाज़ पर चौंके हैं हम तो बार बार
ऐ रफ़ीक़ो बज़्म में इतनी भी तन्हाई न हो
महफ़िल में तेरी यूँ ही रहे जश्न-ए-चरागां
आँखों में ही ये रात गुज़र जाए तो अच्छा
मोहताज थी आईने की तस्वीर सी सूरत
तस्वीर बनाया मुझे महफ़िल में किसी ने
जिक्र उस का ही सही बज़्म में बैठे हो फ़राज़
दर्द कैसा भी उठे हाथ न दिल पर रखना
मैं खुलकर आज महफ़िल में ये कहता हूँ मुझे तुझसे
मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत है
जल्वा-गर बज़्म-ए-हसीनाँ में हैं वो इस शान से
चाँद जैसे ऐ "क़मर" तारों भरी महफ़िल में है
रिन्दों की बज़्म-ए-कैफ़ में क्यों शैख़-ए-मोहतरम
झगड़ा उठा दिया है सवाब-ओ-अज़ाब का
Teri Mehfil Shayari
तेरी महफ़िल से दिल कुछ और तन्हा होके लौटा है
ये लेने क्या गया था और क्या घर लेके आया है
तेरी महफ़िल तेरे जल्वे फिर तक़ाज़ा क्या ज़रूर
ले उठा जाता हूँ ज़ालिम ले चला जाता हूँ मैं
कोई बेसबब, कोई बेताब, कोई चुप, कोई हैरान है
ऐ जिंदगी, तेरी महफ़िल के तमाशे ख़त्म नहीं होते
सुना है तेरी महफ़िल में सुकून-ए-दिल भी मिलता है
मगर हम जब तिरी महफ़िल से आए बे-क़रार आए
जाकर तेरी महफ़िल से कहाँ चैन मिलेगा
अब अपनी जगह अपनी खबर जाए तो अच्छा
दुश्मन को कैसे खराब कह दूं
जो हर महफ़िल में मेरा नाम लेते है
ये बज़्म-ए-मुहब्बत है इस बज़्म-ए-मुहब्बत में
दीवाने भी शैदाई परवानें भी शैदाई
महफ़िल थी दुआओं की
हमने भी एक दुआ की
तुम खुश रहो सदा
मेरे साथ भी मेरे बाद भी
महफ़िलों में फिरता रहता हूँ अजनबी सा
तन्हाइयों में भी तन्हाईयाँ नसीब नहीं होती
तुम्हारी बज़्म से निकले तो हम ने ये सोचा
ज़मीं से चाँद तलक कितना फ़ासला होगा
इस बज़्म में इक जश्न-ए-चराग़ाँ है उन्ही से
कुछ ख़्वाब जो पलकों पे उजाले हुए हम हैं
अज़ीज़-ए-वारसी ये भी किसी का मुझ पे एहसान है
के हर महफ़िल में अब अपना भरम महसूस करता हूँ
वो आज आये हैं महफ़िल में चांदनी लेकर
कि फिर रौशनी में नहाने की रात आयी
तू जरा हाथ मेरा थाम के देख तो सही
लोग जल जायेगें महफ़िल मे चिरागो की तरह
वो जो रहते हैं तन्हां-तन्हां
किसी महफ़िल से आए हैं निकल के
हो गया हाँसिल किसी के प्यार में ये मर्तबा
जा रहा हूँ बज्म में आगोश दर आगोश मैं
Quotes About Gathering With Friends
देखी जो नब्ज़ मेरी तो हंस कर बोला हकीम
के तेरे मर्ज का इलाज़ महफ़िल है दोस्तों की
मेरे लफ़्ज़ों को महफूज कर लो दोस्तों
हमारे बाद बहुत सन्नाटा होगा इस महफ़िल में
दोस्त बना कर जिसने मेरा क़त्ल था किया
उसके चेहरे पर शिकन न परेशानी है
जहाँ अक्ल वालों की महफ़िल है वहां
जिधर देखिये दिल वालों की नाकामी है
गुनाह-ए-इश्क़ से पहले इतने तन्हा कभी हम न थे
दोस्तों का संग था और हम किसी महफ़िल से कम न थे
दोस्तों की महफ़िल में कम आना जाना हो गया है
ऐसा लगता है कि जिए हुए एक जमाना हो गया है
अजमाया दोस्तों ने सब्र मेरा
छेड़ा महफ़िल में जिक्र तेरा
हम उठ के चले तेरी महफ़िल से
पीछे से तूने पुकारा भी नहीं
फिर खुद ही रूक गये कदम मेरे
क्योंकि तेरी दोस्ती के बिना मेरे गुजारा ही नहीं
महफ़िल सजा दो यारो, वो दिन आने वाला है
जो नहीं सोचा था वो आज होने वाला है
दुनिया कि महफ़िलो से उकता गया हूँ मैं
क्या लुफ्त अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
अनवार बज़्म है सजी हो जाए शाएरी
उर्दू से हम को इश्क़ है अपनी ज़बान है
महफ़िल में गए थे हम
यारों ने पिलाई उसकी कसम देकर
तुझे दानिस्ता महफ़िल में जो देखा हो तो मुजरिम हूँ
नज़र आख़िर नज़र है बे-इरादा उठ गई होगी
खो गया है महफिलों से कोई
मैं अब खुद को ढूंढता रहता हूं
उससे बिछड़े तो मालूम हुआ की मौत भी कोई चीज़ है फ़राज़
ज़िंदगी वो थी जो हम उसकी महफ़िल में गुज़ार आए
जाँ-सोज़ की हालत को जाँ-सोज़ ही समझेगा
मैं शमा से कहता हूँ महफ़िल से नहीं कहता क्योंकि
शमए रोशन को बुझाए ना कोई महफ़िल में
इसकी आगोश मे परवाने को जल जाने दो
उम्मीद ऐसी तो ना थी महफ़िल के अर्बाब-ए-बसीरत से
गुनाह-ए-शम्मा को भी जुर्म-ए-परवाना बना देंगे
जिंदगी एक आइना है यहाँ पर हर कुछ छुपाना पड़ता है
दिल में हो लाख गम फिर भी महफ़िल में मुस्कुराना पड़ता है
छुपती है कोई बात छुपाए से सर-ए-बज़्म
उड़ते हो जो तुम हम से तो उड़ती है ख़बर भी
ख़ल्वत बनी हुई थी तिरी अंजुमन मगर
मैं आ गया तो बज़्म का नक़्शा बदल गया
Mehfil Par Shayari
बस एक चेहरे ने तन्हा कर दिया हमे वरना
हम खुद में एक महफ़िल हुआ करते थे
उस की महफ़िल में बैठ कर देखो
ज़िन्दगी कितनी ख़ुबसूरत है
ऐ दिल की ख़लिश चल यूँ ही सहीं चलता तो हूँ उन की महफ़िल में
उस वक़्त मुझे चौंका देना जब रँग में महफ़िल आ जाए
कोई बेताब कोई मस्त कोई चुप कोई हैरान
तेरी महफ़िल में इक तमाशा है जिधर देखो
भरी महफ़िल में अपने जुल्फों को यूँ संवारा उसने
बगैर जाम के महफ़िल को मयखाना बना दिया
होश से आरी रही दीवानगी अपनी ज़फ़र
बा-ख़बर महफ़िल में रह कर बेख़बर वापस हुए
देखी है कई महफ़िलें ये फिजा कुछ और है
देखे है जलवे बहुत ये अदा कुछ और है
पिये तो बहुत जाम हैं हमने पर आपका नशा कुछ और है
हिज्र की रात है और उनके तसव्वुर का चराग़
बज़्म की बज़्म है तन्हाई की तन्हाई है
हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ
दिनों की बात है महफ़िल की आबरू हम थे
लबों पर ख़ामोशी आँखों में आँसू दिल में बे-ताबी
मैं उन की बज़्म-ए-इशरत से क़यामत ले के आया हूँ
बने हुए हैं वो महफ़िल में सूरत-ए-तस्वीर
हर एक को यूँ गुमा है की इधर को देखते हैं
तू जरा हाथ मेरा थाम इ देख तो सही
लोग जल जायेंगे महफ़िल में चिरागों की तरह
उस से बिछड़े तो मालूम हुआ की
मौत भी कोई चीज़ है फ़राज़
ज़िन्दगी वो थी जो हम उसकी
महफ़िल में गुज़ार आए
बेवफ़ाओं की महफ़िल लगेगी आज
ज़रा वक़्त पर आना, मेहमान-ए-ख़ास हो तुम
तेरी महफ़िल तेरे जलवे फिर तकाज़ा क्या ज़रूर
ले उठा जाता हूँ ज़ालिम ले चला जाता हूँ मैं
Mehfil Shayari In Urdu
जिस क़दर नफ़रत बढ़ाई उतनी ही क़ुर्बत बढ़ी
अब जो महफ़िल में नहीं है वो तुम्हारे दिल में है
मुझे गरीब समझ कर महफिल से निकाल दिया
क्या चाँद की महफिल मे सितारे नही होते
मुझ तक कब उनकी बज़्म में आता था दौरे-जाम
साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में
महफ़िल में गले मिल के वो धीरे से कह गए
ये दुनिया की रस्म है
इसे मोहब्बत ना समझ लेना
रात की महफ़िल में
शायरों अफसाना चला
किसी ने सुनाए खुशियों के किस्से
किसी के साथ गमों का फसाना चला
तुम्हारा जिक्र हुआ तो महफ़िल छोड़ आये
गैरों के लबों पे तुम्हारा नाम अच्छा नहीं लगता
दिल के दर्द ने शायर बना दिया तब जाना कि
गमों की महफ़िल भी कितनी हसीन होती है
शरीक-ए-बज़्म होकर यूँ उचटकर बैठना तेरा
खटकती है तेरी मौजूदगी में भी कमी अपनी
उस अजनबी से हाथ मिलाने के वास्ते
महफ़िल में सब से हाथ मिलाना पड़ा मुझे
मैंने आंसू को समझाया भरी महफ़िल में ना आया करो
आंसू बोला तुमको भरी महफ़िल में तन्हा पाते है
इसीलिए तो चुपके से चले आते है
Mehfil Shayari In Hindi
महफ़िल वही, मकान वही, आदमी वही
या हम नये है या तेरी आदत बदल गई
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा
बू-ए-गुल, नाला-ए-दिल, दूद-ए-चिराग़-ए-महफ़िल
जो तेरी बज़्म से निकला सो परीशाँ निकला
अगर देखनी है कयामत तो चले आओ हमारी महफिल मे
सुना है आज की महफिल मे वो बेनकाब आ रहे हैँ
शराबखानो कभी महफ़िलों की जानिब हम
ख़ुद अपने आप से टकराव टालने निकले
तेरी महफ़िल और मेरी आँखें
दोनों भरी-भरी हैं
गरीबों की महफ़िल में कभी चलकर देख लेना
सिर्फ मोहब्बत ही मोहब्बत लुटाई जाती है
कभी उस परी का कूचा कभी इस हसीं की महफ़िल
मुझे दरबदर फिराया मेरे दिल की सादगी ने
तहसीन के लायक तेरा हर शेर है
अहबाब करें बज़्म में अब वाह कहाँ तक
ऐ दिल की ख़लिश चल यूँ ही सहीं
चलता तो हूँ उनकी महफ़िल में
उस वक़्त मुझको चौंका देना
जब रंग पे महफ़िल आ जाए
महफ़िल में इश्क़-ए-गम को छुपाकर तो हम मुस्कुराए
पर दाग़ दामन लगे है कुछ ऐसे कि हम धो भी ना पाए
Mehfil Ki Jaan Shayari
शाद तू बज़्म के आदाब समझता ही नहीं
और भी लोग यहाँ तेरे सिवा बैठे हैं
देख ले जान-ए-वफ़ा आज तेरी महफ़िल में
एक मुजरिम की तरह अहल-ए-वफ़ा बैठे हैं
इनमे लहू जला हो हमारा कि जान ओ दिल
महफ़िल के कुछ चिराग फ़रोज़ां हुए हैं
जश्न हो इतनी गुंजाईश तो छोड़ आया था
न जाने क्यों वहाँ महफ़िल नहीं हुयी अब तक
सहारे ढुंढ़ने की आदत नही हमारी
हम अकेले पूरी महफ़िल के बराबर है
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