तेरे सितम भी अब मरहम लगते हैं
खता तेरी और खतावार हम लगते हैं
इश्क में तेरे क्या क्या इल्जाम आए सर मेरे
बेवफाई कि तुमने और बेवफा हम लगते हैं
किया इश्क़ ने मेरा हाल कुछ ऐसा
ना अपनी खबर ना ही दिल का पता है
कसूरवार थी मेरी ये दौर-ए-जवानी
मैं समझता रहा सनम की खता है
हमसे कोई खता हो जाये तो माफ़ करना
हम याद न कर पायें तो माफ़ करना
दिल से तो हम आपको कभी भुलाते नहीं
पर यह दिल ही रुक जाये तो माफ़ करना
ख़ता पर शायरी
खता हो गयी तो फिर सजा सुना दो
दिल में इतना दर्द है वजह बता दो
देर हो गयी है याद करने में जरुर
लेकिन तुमको भुला देंगे ये ख्याल मिटा दो
तुम्हारी नज़र क्यों खफा हो गई
ख़ता बख़्श दो गर ख़ता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी ख़ता खुद सज़ा हो गई
इस तरह मिले वो मुझे बरसों के बाद
जैसे हकीकत मिली हो ख्यालों के बाद
मैं पूछता रहा उनसे खताएं अपनी
वो बहुत रोये मरे सवालों के बाद
ऐसी खता से अच्छा है की तुम मुझे सजा दो
इस बेरुखी की तुम मुझको ही वजह दो
अगर ना लानी हो होठों पे हँसी अपने तो ना सही
पर इस दिल के खातिर बस अपने दिल से ही मुस्कुरा दो
Meri Khata Shayari
रूठ जाओ बेशक़ मुझसे पर मेरी ख़ता क्या है
मेरे हालात ख़ुदा जानता है तुम्हें पता क्या है
न इश्क़ से मुकाबिल हुए न ही नफरत आती है
हमें क्या मालूम वफ़ा क्या है जफ़ा क्या है
अभी तुम दिल पे बस लिख लो ज़रा ये दासताँ मेरी
मिले फुरसत तो पढ़ कर देखना मेरी खता क्या थी ?
आखिर खता क्या थी मेरी जो मुझे छोड़ गए
वजह क्या थी जो ये दिल तोड़ गए
तू छोड़ रहा है तो ख़ता इसमें मेरी क्या
हर शख्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता
नाराज हैं मुझसे ये मुझको पता है
इतना तो बता देते मेरी क्या खता है
Khata Ho Gayi Mujhse Shayari
पूछूँ मैं तुझसे बात ये कैसी खता मुझसे हुई
क्यों छोड़कर मुझको तू जाकर किसी और की हुई
रोक लो गर ग़लत चले कोई
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई
खता उसकी भी नही यारो वो भी क्या करती
हजारो चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करती
तुम को चाहा तो खता क्या है बता दो मुझको
दूसरा कोई तो अपना सा दिखा दो मुझको
जब कभी मैं ने ये पूछा कि ख़ता किस की है
बे-धड़क बोल उठे तेरे सिवा किस की है
Shayari On Khata
की है कोई हसीन ख़ता हर ख़ता के साथ
थोड़ा सा प्यार भी मुझे दे दो सज़ा के साथ
क्या खता हमसे हुई की खत का आना बंद है
आप हैं हमसे खफा या डाक-खाना बंद है
ऐसी भी कौनसी खता हो गयी
रात भी खाबों से बेवफ़ा हो गयी
हर भूल तेरी माफ़ की हर खता को तेरी भुला दिया
गम है कि मेरे प्यार का तूने बेवफा बनके सिला दिया
ना गलती, ना खता, बस शक में थे तुम
इसलिए जानें से नहीं रोका, क्योंकि गलत थे तुम
अपने उसूल कभी यूँ भी तोड़ने पड़े
खता उसकी थी हाथ मुझे जोड़ने पड़े
Khata Shayari In Hindi
मिली सज़ा जो मुझे वो किसी खता पे नहीं फराज़
मुझ पे जुर्म साबित हुआ जो वफा का था
तवारीखों में कुछ ऐसे भी मंजर हमने देखे हैं
के लम्हों ने खता की थी और सदियों ने सजा पायी
वो हमारी एक खता पर
हमसे कुछ इस कदर रूठ कर चल दिए
जैसे सदियों से उन्हें किसी बहाने की तलास थी
आँख भर कर देख लेना कुछ खता ऐसी न थी
क्या खबर क्यूँ उनको मुझ पर इतना गुस्सा ना गया
मुझ पर करो सितम तो तरस मत खाना
क्योंकि खता मेरी है मोहब्बत मैंने की है
सज़ा ये है कि नींदें छीन ली दोनों की आँखों से
खता ये है कि हम दोनों ने मिलकर ख्वाब देखा था
खता इतनी की उनको पाने की कोशिश की
अगर छीनने की कोशिश करते तो आज वो हमारे होते
बड़े लाड़ से पली थी वो
नाज़ुक चीज़ों पर पैर रखकर
चलने की आदत थी उसकी
अब उसके पैरों के नीचे मेरा दिल आ गया
तो उसकी क्या ख़ता
अंदाज-ऐ-मोहब्बत तुम्हारी एक अदा है
दूर हो हमसे तुम्हारी खता है
दिल में बसी है एक प्यारी सी तस्वीर तुम्हारी
जिसके नीचे 'आई मिस यू' लिखा है
इतनी वफादारी ना कर किसी से यूँ मदहोश होकर
दुनिया वाले एक ख़ता के बदले सारी वफाँए भुला देते हैं
तवारीखों में कुछ ऐसे भी मंजर देखे हमने
कि लम्हों ने खता की थी और सदियों ने सजा पायी
हम बेक़सूर लोग भी बड़े दिलचस्प होते हैं
शर्मिंदा हो जाते हैं खता के बग़ैर भी
यह खता है उन्हें की हम खफ़ा नहीं होते
क्या करे लफ़्जों में सारे दर्द बयां नहीं होते
कुछ तो बात है तेरी फितरत में ऐ सनम
वरना तुझ को याद करने की खता हम बार-बार न करते
हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही खता थी
लकीरों को मिटाना चाहा किसी को पाने की खातिर
दिल की खता है कीमत आँखें चुकाती है
बिखरते हैं अश्क बनकर मोती जब तेरी याद छूकर जाती है
हुस्न वालों ने क्या कभी की खता कुछ भी
ये तो हम हैं सर इल्ज़ाम लिए फिरते हैं
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