Fikr Shayari
जी चाहे की दुनिया की हर एक फ़िक्र भुला कर
दिल की बातें सुनाऊँ तुझे मैं पास बिठा कर
दूर कहीं जहां कोई न हो हमारे अलावा
टूट कर प्यार करूँ मैं तुम्हें सीने से लगा कर
जी भर के देखू तुझे अगर गवारा हो
बेताब मेरी नज़रे हो और चेहरा तुम्हारा हो
जान की फ़िक्र हो न जमाने की परवाह
एक तेरा प्यार हो, जो बस हमारा हो
चोट लगी तो अपने अन्दर चुपके चुपके रो लेते हो
अच्छी बात है आसानी से जख्मों को तुम धो लेते हो
दिन भर कोशिश करते हो सबको गम का दरमाँ मिल जाये
नींद की गोली खाकर शब भर बेफ़िक्री में सो लेते हो
चेहरों की इतनी फ़िक्र क्यूँ है
रंगों की इतनी क़द्र क्यूँ है
हुस्न अस्ल किरदार का है
गोरा काले से बेहतर क्यूँ है
फ़िक्र शायरी
हमको तो अपने सर को छुपाने की फ़िक्र है
उनको नया मकान बनाने की फ़िक्र है
उसने लगा दी आग की बाकी कुछ ना रहे
मुझको हर एक चीज बचाने की फ़िक्र है
ज़िन्दगी, अजीब है गालिब
वक़्त की कदर खो जाने के बाद होती है
अपनों की फ़िक्र रूठ जाने के बाद होती है
और साथ की ज़रूरत अकसर दूर जाने के बाद होती है
दूर होते नहीं जो दिल मे रहा करते हैं
हम रहें आपके पास यही दुआ करते हैं
ना रास्ते की फिकर ना मंज़िल का गिला
हम तो मुसाफिर हैं मुश्किल से मिला करते हैं
Fikr Shayari In Hindi
फ़िक्र ना होती तेरी तो कब के ज़िंदगी से दर गये होते
तुम ना होते जो साथ हमारे हम तो कब के मर गये होते
वो मेरी फ़िक्र तो करता है मगर प्यार नहीं
यानी पाज़ेब में घुँघरू तो हैं झंकार नहीं
कभी आओ बैठते है बतलाते है
दुनिया की फिक्र छोड़ दिल की सुनाते है
Love Fikr Shayari
किसी की चाहत और मोहब्बत पर दिल से अमल करना
दिल टुटे न उसका इतनी सी फिक्र करना
नसीब में नही होते फ़िक्र करने वाले लोग
जो फिकर करते है अक्सर उन्हे ग़लत समजते है लोग
तुम्हारी फिक्र है मुझे इसमे कोई शक नही
तुम्हे कोई और देखे किसी को ये हक नही
Fikr Sad Shayari
करू क्यों फ़िक्र की मौत के बाद जगह कहाँ मिलेगी
जहाँ होगी महफिल मेरे यारो की मेरी रूह वहाँ मिलेगी
जरूरत नहीं फिक्र हो तुम
कर ना पाऊँ कहीं भी वो जिक्र हो तुम
आज वही कल है
जिस कल की फ़िक्र तुम्हें कल थी
फिक्र ना करो हम कोई जंजीर नहीं हैं कि पाँव से लिपट जायेंगे
हम तो मोहब्बत हैं राख बन के तेरी राहों में बिखर जाएंगे
टूटे दिल की अपनी ना फ़िकर पर उसकी फ़िकर किये जा रहा हूँ
समझ नही आता कि ये इश्क़ हैं या कोई हद किये जा रहा हूँ
Fikr Shayari In Hindi
छोटी छोटी बात पर गुस्सा करने वाले लोग वही होते है
जो दिल से प्यार और सोच में फिकर रखते है
मुस्कान के सिवा कुछ न लाया कर चेहरे पर
मेरी फ़िक्र हार जाती है तेरी मायूसी देखकर
मेरी आधी फिक्र आधे ग़म तो यूँ ही मिट जाते हैं
जब प्यार से तू मेरा हाल पूछ लेती है
बात बस इतनी सी है हमें तुम्हारी फिकर
तुमसे थोड़ी ज़्यादा है
कितनी फ़िक्र है कुदरत को मेरी तन्हाई की
जागते रहते हैं रात भर सितारे मेरे लिए
Shayari On Fikr In Hindi
किसी की इतनी भी फ़िक्र ना करो
की वो तुम्हे ही Ignore करने लगे
चाहत फिक्र इम्तेहान सादगी वफा
मेरी इन्हीं आदतों ने मुझे मरवा दिया
मुझे अपनी फ़िक्र कहाँ, मुझे तो फ़िक्र तुम्हारे इश्क कि है
जिसका क़त्ल करने कि इजाजत मेरा जमीर मुझे नहीं देता
मौका मिले कभी तो ये जरुर सोचना
एक लापरवाह सा लड़का
तेरी अपने आप से ज्यादा
फ़िक्र क्यू करता है
किसको यह फ़िक्र है कि कबीले का क्या हुआ ?
सब इस बार लड़ रहे है कि सरदार कौन है
फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है
बस जिक्र करने का हक नही रहा
दो आँखो मे दो ही आँसू
एक तेरे लिए एक तेरी खातिर
मुझे मेरे कल कि फिक्र तो आज भी नही है
पर ख्वाहिश तुझे पाने कि कयामत तक रहेगी
कौन फिक्र करे किसी और की इस जहाँ में
चलो कुछ देर और आँख मूँद कर मर जाएँ
ना कद्र, ना फ़िक्र, ना रहम, ना मेहरबानी
फिर भी वो कहते हैं बेशुमार इश्क है तुमसे
हम आईना हैं आईना ही रहेंगे
फ़िक्र वो करें
जिनकी शक्लो में कुछ और
दिल में कुछ और है
तुम्हारी फिक्र और जिक्र करने के लिए
हमारा कोई रिश्ता ही हो ये जरूरी तो नहीं
तेरा ज़िक्र तेरी फ़िक्र तेरा एहसास तेरा ख्याल
तू खुदा तो नहीं फिर हर जगह क्यों हैं
अब तेरा ज़िक्र नही, अब तेरी फ़िक्र नही
क्यू की तू वो नही रहा जिससे मैने मोहब्बत की थी
अब तू बन चुका है वो
जिसके बारे मैने कभी सोचा भी नही
जो लोग सबकी फिक्र करते हैं
अक्सर उन्हीं की फिक्र करने वाला कोई नहीं होता
फ़िक्र मत कर बंदे समय बलवान है
कर्म कर मेहनत मे बहुत जान है
Fikr Wali Shayari
बहुत फ़िक्र होने लगी है मुझे अब मेरी
कोई बात तेरी मेरे दिल तक नहीं जाती
मेरे इस दिल को तुम ही रख लो
बड़ी फ़िक्र रहती है इसे तुम्हारी
तुम्हारी फिकर के लिए
हमारा कोई रिश्ता हो ज़रूरी तो नही
लिहाज़-ए-इश्क न होता तो तुम भी आज बदनाम होते
ख़ामोश हैं क्योंकि तेरी रूसवाई की फ़िक्र करते है
देख ली तेरी ईमानदारी ए-दिल
तू मेरा और फ़िक्र किसी और की
फ़िक्र तो तेरी आज भी है
बस जिक्र का हक नही रहा
जो सामने जिक्र नही करते
वो दिल ही दिल मे बहुत फिक्र करते हैं
तुम अपनी फ़िक्र करो जनाब
हम तो पहले से ही बदनाम हैं
उलझन में हूं या दुख में हूं
दोस्त है मेरा फिक्र करेगा
दूर है फिरभी भूलेगा नही
कभी तो मेरा जिक्र करेगा
ये फिकर ये अदावतें, ये अंदाज़ ऐ गुफ्तगूं
संभल जाओ तुम, तुम्हें हमसे मोहब्बत हो रही है
Fikr Karna Shayari
फिकर करता हू तुम्हारी
ज़िकर इसका करना ज़रूरी तो नही
गुस्सा इतना है कि तुमसे कभी बात भी ना करूँ
फिर भी दिल में तेरी फिक्र खुद से ज्यादा है
फ़िक्र ये थी कि शब-ए-हिज्र कटेगी कैसे
लुत्फ़ ये है कि हमें याद न आया कोई
उनकों ज़माने की फिक्र है हमको उनकी
इन दो फ़िक्र कीं दिवार में एक मुहब्बत है जलती
अब नही करेंगें हम फिक्र तेरी
क्युकी तुम्हारी फिकर तो ज़माना करता हैं
कुछ बुरे लोगो का ज़िक्र करने से अच्छा
कुछ अच्छे लोगो की फ़िक्र कर लू
कई बार हम किसी की इतनी फ़िक्र कर लेते है
जितनी उनको हमारी जरूरत भी नही होती
फ़िक़्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ ?
जिक्र तो छोड़ दिया मैंने उसका
लेकिन कम्बख्त फिक्र नहीं जाती
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