Deedar Shayari
दीदार तुम्हारे हसीं चेहरे का हम हरपल करने लगे है
इजहार ए मुहब्बत करने से अब कितना डरने लगे हैं
खाली पलकों में इक अक्श तुम्हारा हम भरने लगे है
तुम्हारी मासूम चाहतों के वास्ते जीते जी मरनें लगे हैं
किसी मोड़ पर तेरा दीदार हो जाये
काश तुझे मुझ पर ऐतबार हो जाये
तेरी पलकें झुके और इकरार हो जाये
काश तुझे भी मुझसे प्यार हो जाये
नज़र चाहती है दीदार करना
दिल चाहता है प्यार करना
क्या बताएं इस दिलका आलम
नसीब मैं लिखा है इंतज़ार करना
दीदार शायरी
तेरे इंतजार में कब से उदास बैठे हैं
तेरे दीदार में आँखे बिछाये बैठे हैं
तू एक नज़र हम को देख ले बस
इस आस में कब से बेकरार बैठे हैं
वो इंकार करते हैं इकरार के लिए
नफरत करते हैं प्यार के लिए
उल्टे चलते हैं ये प्यार करने वाले
आँखें बंद करते हैं वो दीदार के लिए
चांद सा मुखड़ा देख तुम्हारा अब यह सारी दुनिया भूले हैं
जब से दीदार हुआ तुम्हारा खुशी के मारे हम नहीं फूले है
इक बिन तुम्हारे सूने सूने लगते सावन के हर इक झूले हैं
बिसरा के खुद को यूं तुम्हारे भीतर लहू बनके हम घूले हैं
Shayari On Deedar
न तस्वीर है आपकी जो दीदार किया जाये
न आप पास हो जो इश्क किया जाये
ये कैसा दर्द दिया है
न कुछ कहा जाये न कुछ सुना जाये
मुझको फिर वही सुहाना नज़ारा मिल गया
नज़रों को जो दीदार तुम्हारा मिल गया
और किसी चीज़ की तमन्ना क्यों करू
जब मिझे तेरी बाहों में सहारा मिल गया
Deedar Shayari 2 Lines
एक मुस्कान तू मुझे एक बार दे दे
ख्वाब में ही सही एक दीदार दे दे
टूटें वो सर जिस में तेरी ज़ुल्फ़ का सौदा नहीं
फूटें वो आँखें कि जिन को दीद का लपका नहीं
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं
Deedar Shayari In Hindi
आप इधर आए उधर दीन और ईमान गए
ईद का चाँद नज़र आया तो रमज़ान गए
क्या ख़ूब होगा जिस दिन तेरा दीदार होगा
एक दीवाने के लिए इससे बड़ा क्या उपहार होगा
जनाब के रुख़-ए-रौशन की दीद हो जाती
तो हम सियाह-नसीबों की ईद हो जाती
जन्नत का हर लम्हा दीदार किया था
माँ तूने गोद मे उठा कर जब प्यार किया था
हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
तुम्हारे देखने वालों में यार हम भी हैं
Deedar Romantic Shayari In Hindi
आईना कभी क़ाबिल-ए-दीदार न होवे
गर ख़ाक के साथ उस को सरोकार न होवे
किसी कीमत पे हो लेकिन एक बार तेरा दीदार हो जाये
फिर उसके बाद चाहे यह मेरी नजर बेकार हो जाये
तेरी गलियों में आने जाने से दुश्मनी हो गयी ज़माने से
सोके दीदार दे रहा है सज़्जा मिलने आजा किसी बहाने से
गयी थी मंदिर उनका दीदार हो गया
पहले सावन का पहला सोमवार हो गया
Deedar Shayari Hindi
मरीज-ए-मोहब्बत हूं, इक तेरा दीदार काफी है
हर एक दवा से बेहतर निगाहे-ए-यार काफी है
तलब ऐसी कि बसा लें अपनी साँसो में तुझे हम
और किस्मत ऐसी कि दीदार के भी मोहताज हैं हम
कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा
हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया
उनका भी कभी हम दीदार करते है
उनसे भी कभी हम प्यार करते है
Deedar Ki Shayari
आपका अभी भी हम दीदार करते हैं
आपसे अभी भी हम प्यार करते हैं
आज भी मुझको तेरा हसरत-ए-दीदार है
आज भी मेरी नजर को तेरा इंतजार है
कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती
हम को अगर मयस्सर जानाँ की दीद होती
Deedar Love Shayari
घूंघट की आड़ से दिलबर का दीदार अधूरा रहता है
जब तक ना पड़े आशिक की नजर शृंगार अधूरा रहता है
दिल बेचैन है साँसे थम सी गयी है
बिन दीदार तेरे शायरी भी जम सी गयी है
आँखो की नजर से नही हम दिल की नजर से प्यार करते है
आप दिखे या ना दिखे फिर भी हम आपका दीदार करते
Deedar Shayari Collection
जिद उसकी थी चाँद का दीदार करने की
होना क्या था मैने उसके सामने आईना रख दिया
तलब उठती है बार-बार तेरे दीदार की
ना जाने देखते देखते कब तुम लत बन गए
क्यूँ जल गया न ताब-ए-रुख़-ए-यार देख कर
जलता हूँ अपनी ताक़त-ए-दीदार देख कर
बस एक बार कर लें तू आने का वादा
फिर उम्र भर का चाहे इंतजार दे दे
इलाही क्या खुले दीदार की राह
उधर दरवाज़े बंद आँखें इधर बंद
कोई तो जलवा खुदा के वास्ते
दीदार के काबिल दिखाई दे
ना जाने कौन कौन से विटामिन और प्रोटीन हैं तुझ में ?
जब तक तेरा दीदार न कर लूँ तब तक बैचेनी रहती
तुम अपने चाँद तारे कहकशाँ चाहे जिसे देना
मेरी आँखों पे अपनी दीद की इक शाम लिख देना
तेरी बेवफाई पर इतना ही कहूँगी हमसफर
मैं खुद को इस काबिल बनाऊंगी
की तेरी आँखे मेरे दीदार को तरसेगी
जरूरी नही है कि मोहब्बत में रोज दीदार हो बातें हो
खामोशी से एक दूसरे की पोस्ट पढ़ना भी मोहब्बत है
किसी और के दीदार के लिए उठती नही ये आँखे
बेईमान आँखो मे थोड़ी सी शराफ़त आज भी है
संगदिल तो मिल चुके हैं हजारों
कोई अहल-ए-दिल तो दिखाई
अब दिल ये चाहे हर घड़ी
मुझको तेरा दीदार हो तुम जिंदगी हो
तुम बंदगी हो और ज्यादा क्या कहूँ
मेरी आँखें और दीदार आप का
या क़यामत आ गई या ख़्वाब है
Deedar Status
क्या करे जो उनको हमारी जरुरत न थी
पर फिर भी हम उनका इंतज़ार करते है
जोड़ती रहती हूँ तेरी चाहतों की कड़ियाँ
आज भी मुझको तमन्ना तेरी बार बार है
तुम्हारा दीदार और वो भी आंखो में आंखे डालकर
सुनो ये कशिश कलम से बयान करना मेरे बस की बात नही
हमने अपनी आँखों पे काला चश्मा चढ़ा रखा है
कहीं कोई मेरी आँखों में उनका दीदार न कर ले
दीदार की तलब के तरीक़ों से बे-ख़बर
दीदार की तलब है तो पहले निगाह माँग
साँस रूक जाये भला ही तेरा इन्तज़ार करते-करते
तेरे दीदार की आरज़ू हरगिज कम ना होगी
तेरे दीदार का नशा भी अजीब है
बैरण तू ना दिखे तो दिल तड़पता है
और तू दिखे तो #दिल धड़कता है
तरस गये आपके दीदार को
दिल फिर भी आपका इंतज़ार करता है
बड़ी मुद्दत के बाद आई हो नज़रों के सामने
बहुत कश्मकश में हूँ नज़रें उठा कर दीदार करूँ
या सिर को झुका कर तेरा सजदा करूँ
अब और देर न कर हश्र बरपा करने में
मेरी नज़र तेरे दीदार को तरसती है
न वो सूरत दिखाते हैं न मिलते हैं गले आ कर
न आँखें शाद होतीं हैं न दिल मसरूर होता है
तेरी दीदार की आस में आते हैं तेरी ग्रुप में
वरना सारा Facebook पड़ा है पोस्ट के लिए
सनम ऐ दिल तेरी सांसे मोहताज है तेरी
अपना दीदार उधार दे दे
कि एक बार आज फिर खुदखुशी की हमने
कि तेरी गली से निकले और तेरा दीदार हो गया
तेरी याद से ही महक जाती है दुनिया मेरी
ना जाने तेरे दीदार पे क्या आलम होगा मेरा
सोने लगा हूँ तुझे ख्वाब में देखने कि हसरत ले कर
दुआ करना कोई जगा ना दे तेरे दीदार से पहले
दीदार की तलब हो तो नज़रे जमाये रख
क्युकि नकाब हो या नसीब सरकता जरुर है
जरूरी तो नहीं है कि तुझे आँखों से ही देखूँ
तेरी याद का आना भी तेरे दीदार से कम नहीं
तेरे ख्वाबों का भी है शौक़ तेरी यादों में भी है मज़ा
समझ नहीं आता सोकर तेरा दीदार करूँ
या जाग कर तुम्हें याद
तेरे दीदार का नशा भी अजीब हैं
तू ना दिखे तो दिल तड़पता हैं
और तू दिखे हैं तो नशा और चढ़ता हैं
लाजिमी नहीं की आपको आँखों से ही देखुं
आपको सोचना आपके दीदार से कम नहीं
आफ़रीं तुझ को हसरत-ए-दीदार
चश्म-ए-तर से ज़बाँ का काम लिया
काश हमारी जिन्दगी में भी
वो खूबसूरत पल आ जाए
कि मेरी पोस्ट पर राधे राधे लिखें
और आपको राधा रानी का दीदार हो जाए
दीदार महबूब का जो निगहों ने कर ली
धड़कनो को सम्भालना मुश्किल हो गया
'दर्द' के मिलने से ऐ यार बुरा क्यूँ माना
उस को कुछ और सिवा दीद के मंज़ूर न था
दिल ने आज फिर तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी है
अगर फुरसत मिले तो ख्वाबों मे आ जाना
दीदार की तलब हो तो नजरें जमाये रखना
नकाब हो या नसीब सरकता जरूर है
जो चेहरे दिखते नहीं थे मोहल्ले में
भुकंप ने सबका दीदार करा दिया
जिस दिन सपनो में उनका दीदार हो जाता है
उस रात सोना दुश्वार हो जाता है
मरता हे कोई हम पर भी
ये सोच कर अपने आप से प्यार हो जाता है
दीदार की तलब हो तो नज़रें जमाए रखना
घूंघट, पर्दा, नकाब जो भी हो सरकता जरूर है
तू सामने है तो फिर क्यूँ यक़ीं नहीं आता
ये बार बार जो आँखों को मल के देखते हैं
हाथों से ना छिपा होठों को जालिम
हँसी बड़ी हसीन है तेरी दीदार तो बनता है
ना शौक दीदार का ना फिक्र जुदाई की
बड़े खुश नसीब है वो लोग जो मोहब्बत नही करते
जो और कुछ हो तेरी दीद के सिवा मंज़ूर
तो मुझ पे ख़्वाहिश-ए-जन्नत हराम हो जाए
तुम्हारा दीदार और वो भी आँखों में आँखें डालकर
ये कशिश कलम से बयाँ करना भी मेरे बस की बात नही
आखों की सजा तब तक है जब तक दीदार ना हो
दिल की सजा तब तक है जब तक प्यार ना हो
ये जिंदगी भी एक सजा है जब तक आप जैसा यार ना हो
न होती है मुलाकातें न ही दीदार होता है
नजर अंदाज़ करने का गज़ब अंदाज़ है उसका
कुछ लोग तो बस इसलिए अपने बने हैं अभी
कि कभी मेरी बर्बादियां हों तो दीदार करीब से हो
हमसे अच्छा तो आपके घर का आईना है
जो हर रोज़ आपका दीदार करता है
इन आँखों को जब तेरे चाँद जैसे चेहरे का
दीदार हो जाता है सच कहू
वो दिन कोई सा भी हो लेकिन त्यौहार हो जाता है
सोने जा रहा हूँ तुझे ख्वाब में देखने कि हसरत ले कर
दुआ करना कोई जगा ना दे मुजे तेरे दीदार से पहले
प्यार चाहिये मुझे जीने के लिये
मुझ को हर घड़ी दीदार चाहिये
तुम्हारा प्यार चाहिये मुझे जीने के लिये
दीदार-ए-यार की खातिर जिन्दा हूँ
वर्ना कौन जीता है इस दुनिया में तमाशा बन कर
आज फिर तेरे दीदार की हसरत दिल ने रखी है
अगर वक्त मिले तो ख्वाबो में आ जाना
बादशाह थे हम अपनी मिजाज-ए मस्ती के
इश्क़ ने तेरे दीदार का फ़क़ीर बना दिया
सारी रात तड़पते रहेंगें हम आज
फिर तेरी तस्वीर का दीदार जो कर लिया
तेरे दीदार की तलाश में आते है तेरी गलियों में
वरना आवारगी के लिए पूरा शहर पड़ा है दोस्तों
कितनी भी हल्दी चन्दन केसर लगा लो
दीदार ए यार के बिना निखार आता ही नहीं
इस क़मर को कभी तो देखेंगे
तीस दिन होते हैं महीने के
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