Aarzoo Shayari
आँखो की चमक पलकों की शान हो तुम
चेहरे की हँसी लबों की मुस्कान हो तुम
धड़कता है दिल बस तुम्हारी आरज़ू मे
फिर कैसे ना कहूँ मेरी जान हो तुम
आरज़ू ये है कि उनकी हर नज़र देखा करें
वो ही अपने सामने हों, हम जिधर देखा करें
इक तरफ हो सारी दुनिया, इक तरफ सूरत तेरी
हम तुझे दुनिया से होकर बेखबर देखा करें
कोई गिला, कोई शिकवा ना रहे आपसे
यह आरज़ू है कि सिलसिला रहे आपसे
बस इस बात की बड़ी उम्मीद है आपसे
खफा ना होना अगर हम खफा रहें आपसे
काश की मुझे मुहब्बत ना होती
काश की मुझे तेरी आरज़ू ना होती
जी लेते यू ही ज़िंदगी को हम तेरे बिन
काश की ये तड़प हमे ना होती
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है
खामोशियो की आदत हो गयी है
न सीकवा रहा न शिकायत किसी से
अगर है तो एक मोहब्बत
जो इन तन्हाइयों से हो गई है
आरज़ू शायरी
तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है
जिसका रास्ता बहुत खराब है
मेरे ज़ख्म का अंदाज़ा न लगा
दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है
हर जज्बात को जुबान नहीं मिलती
हर आरजू को दुआ नहीं मिलती
मुस्कान बनाये रखो तो साथ है दुनिया
वर्ना आंसुओ को तो आंखो मे भी पनाह नहीं मिलती
आरज़ू ये नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जाये
फ़िक्र तो ये है कि कहीं आपका दिल न बदल जाये
कभी मुझको अगर भुलाना चाहो तो
दर्द इतना देना कि मेरा दम ही निकल जाये
Aarzoo Shayari Hindi
दिल में हर किसी का अरमान नहीं होता
हर कोई दिल का मेहमान नहीं होता
एक बार जिसकी आरजू दिल में बस जाती है
उसे भुला देना इतना आसान नहीं होता
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की
लम्हें तो अपने आप ही मिल जाते हैं
कौन पूछता है पिंजरे में बंद पंछियों को
याद वही आते है जो उड़ जाते है
दिल का दर्द पलकों में क़ैद है
एहसास तुम्हारा हवाओं में क़ैद है
तुमको भुलाये भी तो कैसे
तुमको पाने कि आरज़ू ख्वाबों में भी क़ैद है
खोई हुई आँखो में सपना सज़ा लिया
आरज़ू में आपकी चाहत को बसा लिया
धड़कन भी ना रही ज़रूरी हमारे लिए
जब से दिल में हमने आपको बसा लिया
Best Aarzoo Shayari Line
तेरा ख़याल तेरी आरजू न गयी
मेरे दिल से तेरी जुस्तजू न गयी
इश्क में सब कुछ लुटा दिया हँसकर मैंने
मगर तेरे प्यार की आरजू न गयी
एक आरज़ू सी दिल में अक्सर छुपाये फिरता हूँ
प्यार करता हूँ तुझसे पर कहने से डरता हूँ
कही नाराज़ न हो जाओ मेरी गुस्ताखी से तुम
इसलिए खामोश रहके भी तेरी धड़कनों को सुना करता हूँ
थाम लेना हाथ मेरा कभी पीछे जो छूट जाऊँ
मना लेना मुझे जो कभी तुमसे रूठ जाऊँ
मैं पागल ही सही मगर मैं वो हूँ
जो तेरी हर आरजू के लिये टूट जाऊँ
ये आरज़ू थी के ऐसा भी कुछ हुआ होता
मेरी कमी ने तुझे भी रुला दिया होता
मैं लौट आता तेरे पास एक लम्हे में
तेरे लबों ने मेरा नाम तो लिया होता
आज खुद को तुझमे डुबोने की आरज़ू है
क़यामत तक सिर्फ तेरा होने की आरज़ू है
किसने कहा गले से लगा ले मुझको मग़र
तेरी गोद में सर रखकर सोने की आरज़ू है
Meri Aarzoo Shayari
आरज़ू मेरी, चाहत तेरी
तमन्ना मेरी, उल्फत तेरी
इबादत मेरी, मोहब्बत तेरी
बस तुझ से तुझ तक है दुनिया मेरी
काश की मुझे मोहोब्बत ना होती
काश की मुझे तेरी आरज़ू ना होती
जी लेते यू ही ज़िंदगी को हम तेरे बिन
काश की ये तड़प हमे ना होती
Aarzoo Shayari 2 Lines
आज तक दिल की आरज़ू है वही
फूल मुरझा गया है बू है वही
जब कोई नौजवान मरता है
आरज़ू का जहान मरता है
ना जी भर के देखा न कुछ बात की़
बङी आरजु थी मुलाकात की
ख़राब-ए-दहर न मैं ख़ुद हुआ न तू ने किया
जो कुछ किया तिरे मिलने की आरज़ू ने किया
कोई गिला कोई शिकवा जरा रहे तुमसे
ये आरजू है कि इक सिलसिला रहे तुमसे
आरज़ू, हसरत, तमन्ना और ख़ुशी कुछ भी नही
ज़िन्दगी में तू नही तो ज़िन्दगी कुछ भी नही
ये तेरे इश्क का कितना हसीन एहसास है
लगता है जैसे तू हर पल मेरे पास है
हर बार उसी से गुफ़्तगू
सौ बार उसी की आरज़ू
Aarzoo Shayari In Hindi
आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या
क्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या
तेरे सीने से लगकर तेरी आरज़ू बन जाऊं
तेरी साँसों से मिलकर तेरी खुशबु बन जाऊं
जरूरी नहीं ये बिल्कुल कि तू मेरी हर बात को समझे
आरजू बस इतनी है कि तू मुझे कुछ तो समझे
ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही
बस टूट कर बिखरने की आरज़ू नहीं रही
दिल की आरज़ू थी कोई दिल रूवा मिले
हकीकत न सही पर सपनों में ही मिलें
ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते
हम और बुलबुल-ए-बेताब गुफ़्तुगू करते
ये ज़िन्दगी तेरे साथ हो, ये आरज़ु दिन रात हो
मैं तेरे संग संग चलूँ, तू हर सफर में मेरे साथ हो
उलझी सी ज़िन्दगी को सवारने की आरजू में बैठे हैं
कोई अपना दिख जाए शायद उसे पुकारने को बैठे है
ऐसा नहीं की ज़िन्दगी में कोई आरजू ही नहीं
पर वो ख्वाब पूरा कैसे करूँ जिसमे तू ही नहीं
Aarzoo Ki Shayari
तमन्ना है मेरी कि आपकी आरज़ू बन जाऊं
आपकी आँख का तारा ना सही
आपकी आँख का आंसू बन जाऊं
इस लिए आरज़ू छुपाई है
मुँह से निकली हुई पराई है
मेरे जीने की ये आरजू तेरे आने की दुआ करे
कुछ इस तरह से दर्द भी तेरे सीने में हुआ करे
आरजू थी की तेरी बाँहो मे दम निकले
लेकिन बेवफा तुम नही बदनसीब हम निकले
किसी ने दी खबर वो आएंगे रात को इतना किया
उजाला अपना घर तक जला दिया
Teri Aarzoo Shayari
आरज़ू तेरी बरक़रार रहे
दिल का क्या है रहे रहे न रहे
तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू मेरे दिल में दिलनशीं तू ही तू
तेरा ही ख़याल है रात-दिन मेरी सोच में मकीं तू ही तू
सर से लगा के पाँव तलक दिल हुआ हूँ मैं
याँ तक तो फ़न-ए-इश्क़ में कामिल हुआ हूँ मैं
वो हादसे भी दहर में हम पर गुज़र गए
जीने की आरज़ू में कई बार मर गए
My Wish Hindi Quotes
जब से हमने मोहब्बत को जाना है
एक तेरी ही आरज़ू की थी पाने की
पर हालात ही कुछ ऐसे बने
ना तुम कुछ समझे ना कुछ हम समझे
उमरे दराज लाये थे मांग के चार दिन
दो आरजू में कट गए दो इन्तेजार में
तमन्ना है मेरी कि
आपकी आरज़ू बन जाऊं
आपकी आँख का तारा ना सही
आपकी आँख का आंसू बन जाऊं
तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू
मेरे दिल में दिलनशीं तू ही तू
वो वक़्त गुजर गया जब मुझे तेरी आरज़ू थी
अब तू खुदा भी बन जाए तो मै सजदा न करूँ
जीने के आरजू में मरे जा रहे है लोग
मरने के आरजू में जिया जा रहा हु मै
कभी कभी सोचता हूँ आखिर यहाँ कौन जीत गया
मेरी आरज़ू उसकी ज़िद या फिर मोहब्बत
Aarzoo की शायरी
मै समेटती हूँ ख्वाब तेरे
तेरी आरजू तेरा ही गम
तेरी ही तमन्ना यादें तेरी
बहुत मशरूफ है ज़िन्दगी मेरी
आरज़ू है कि तू यहाँ आए
और फिर उम्र भर न जाए कहीं
ज़िन्दगी की आखरी आरजू बस यही हैं
तू सलामत रहें दुआँ बस यही हैं
ये हवा, ये रात ये चाँदनी
तेरी एक अदा पे निसार हैं
मुझे क्यों ना हो तेरी आरजू
तेरी जुस्तजू में बहार है
लुत्फ़ दूना हो जो दोनों घर मिरे आबाद हों
तू रहे पहलू में तेरी आरज़ू दिल में रहे
साक़ी मुझे भी चाहिए इक जाम-ए-आरज़ू
कितने लगेंगे दाम ज़रा आँख तो मिला
है आरज़ू एक रात तुम आओ ख्वाब में
बस दुआ है उस रात कि सुबह न हो
Shayari On Aarzoo
ना खुशी की तलाश है
ना गम-ए-निजात की आरज़ू
मै ख़ुद से ही नाराज हूँ
तेरी नाराजगी के बाद
तेरे सीने से लगकर तेरी आरज़ू बन जाऊ
तेरी साँसों से मिलकर तेरी खुशबू बन जाऊ
फासले न रहें कोई तेरे मेरे दरमियाँ
मैं मैं न रहूँ बस तू ही तू बन जाए
तुम आरजू तो करो मोहब्बत करने की
हम इतने भी गरीब नहीं की मोहब्बत ना दे सके
ख्वाइश बस इतनी सी है की
तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो
आरज़ू ये नही की लोग
वाह वाह करें
हे आरजू की एक रात तुम आओ ख्वाबोँ मे
बस दुआ हे उस रात की कभी सुबह न हो
मोहब्बत तेरी दीवानगी बन चुकी है मेरी
अब जिंदगी की आरजू सिर्फ तुम्हारा साथ है
ऐ मौत तुझे भी गले लगा लूँगा जरा ठहर
अभी है आरज़ू सनम से लिपट जाने की
मुझे यह डर है तेरी आरज़ू न मिट जाये
बहुत दिनों से तबियत मेरी उदास नहीं
Aarzoo Love Shayari
जीने की आरज़ू है
तो जी चट्टानों की तरह
वरना पत्तों की तरह
तुझको हवा ले जायेगी
कुछ आग आरज़ू की
उम्मीद का धुआँ कुछ
हाँ राख ही तो ठहरा
अंजाम जिंदगी का
न तख्तो ओ ताज की आरजू
न बज्म शाह की जुस्तजू
जो नजर दिल को बदल सके
मुझे उस निगाह की तलाश है
न किसी के दिल की हूँ आरज़ू
न किसी नज़र की हूँ जुस्तजू
मैं वो फूल हूँ जो उदास हो
न बहार आए तो क्या करूँ
कुछ आग आरज़ू की उम्मीद का धुआँ कुछ
हाँ राख ही तो ठहरा अंजाम जिंदगी का
मरते हैं आरज़ू में मरने की
मौत आती है पर नहीं आती
तुझसे मिले न थे तो कोई आरजू न थी
देखा तुम्हें तो तेरे तलबगार हो गये
बड़ी आरज़ू थी मोहब्बत को
बेनकाब देखने की
दुपट्टा जो सरका तो
जुल्फें दीवार बन गयी
My Wish Love Quotes
किसको ख्वाहिश है ख्वाब बनके पलकों पे सजने की
हम तो आरजू बनके तेरे दिल में बसना चाहते हैं
बहाने और भी होते जो ज़िंदगी के लिए
हम एक बार तिरी आरज़ू भी खो देते
एक पत्थर की आरजू करके
खुदको ज़ख्मी बना लिया मैंने
ग़म-ए-ज़माना ने मजबूर कर दिया वर्ना
ये आरज़ू थी कि बस तेरी आरज़ू करते
आरज़ू ये है के इज़हार-ए-मोहब्बत कर दें
अलफ़ाज़ चुनते हैं तो लम्हात बदल जाते हैं
कुछ आग आरज़ू की, उम्मीद का धुआँ कुछ
हाँ राख ही तो ठहरा, अंजाम जिंदगी का
आरज़ू हसरत और उम्मीद
शिकायत आँसू
इक तिरा ज़िक्र था
और बीच में क्या क्या निकला
आरज़ू ज़िन्दगी हसरत तमन्ना कटती है
आरज़ू के सहारे ज़िन्दगी, मत पूछो कैसे
गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना
कभी मिलने की हसरत कभी देखने की तमन्ना
आरजू थी तुम्हारी तलब बनने की
मलाल ये है कि तुम्हारी लत लग गयी
ज़रा शिद्दत से चाहो तभी होगी आरज़ू पूरी
हम वो नहीं जो तुम्हे खैरात में मिल जायेंगे
सितारों की महफ़िल ने करके इशारा
कहा अब तो सारा जहाँ है तुम्हारा
मुहब्बत जवाँ हो खुला आसमाँ हो
करे कोई दिल आरजू और क्या
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की
लम्हे तो खुद-व-खुद मिल जाया करते है
कटती है आरज़ू के सहारे ज़िन्दगी
कैसे कहूँ किसी की तमन्ना नहीं
Best Aarzoo Status
मुददत से थी किसी से मिलने की आरज़ू
खुवाइश ए दिदार में सब कुछ भुला दिया
किसी ने दी खबर वो आएंगे रात को
इतना किया उजाला अपना घर तक जला दिया
उम्र-ए-दराज़ मांग के लाये थे चार दिन
दो आरज़ू में कट गए दो इंतजार में
तेरे इश्क का कितना हसीन एहसास है
लगता है जैसे तु हर पल मेरे पास है
मोहब्बत तेरी दिवानगी बन चुकी है मेरी
और अब जिन्दगी की आरजू बस तुम्हारे साथ है
ना खुशी की तलाश है ना गम-ए-निजात की आरज़ू
मै ख़ुद से ही नाराज हूँ तेरी नाराजगी के बाद
डरता हूँ देख कर दिल-ए-बे-आरज़ू को मैं
सुनसान घर ये क्यूँ न हो मेहमान तो गया
अब तुझसे शिकायत करना मेरे हक मे नहीं
क्योंकि तू आरजू मेरी थी पर अमानत शायद किसी और की
मिलने से भी अजीब है मिलने की आरज़ू
है वस्ल से भी ज्यादा मज़ा इंतज़ार में
सिलसिला वफाओं का तुम जारी रखना
आरज़ू मिलन की हम पूरी करते हैं
आरजू यह है कि इजहार ए मोहब्बत कर दें
अल्फाज चुनते हैं तो लम्हात बदल जाते हैं
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू
हम किससे करें बात कोई बोलता ही नही
दस्तक सुनी तो जाग उठा दर्दे आरज़ू
अपनी तरफ क्यों आती नहीं प्यार की हवा
न किसी के दिल की हूँ आरज़ू
न किसी नज़र की हूँ जुस्तजू
मैं वो फूल हूँ जो उदास हो
न बहार आए तो क्या करूँ
बहुत अज़ीज़ थी ये ज़िंदगी मगर हम लोग
कभी कभी तो किसी आरज़ू में मर भी गए
जरूरी नहीं ये बिल्कुल कि तू
मेरी हर बात को समझे
आरजू बस इतनी है कि
तू मुझे कुछ तो समझे
यह आरजू नहीं कि किसी को भुलाएं हम
न तमन्ना है कि किसी को रुलाएं हम
जिसको जितना याद करते हैं
उसे भी उतना याद आयें हम
सुनो ना अरमानों को यूँ ही मचलने दो
आरजू मिलने की यूँ ही बरकरार रखना
यह जरूरी तो नही मुलाकत मुमकिंन हो
मगर रूह से इश्क़ को यूँही आबाद रखना
कैसी ख़्वाहिश कौन-सी आरज़ू
वक़्त ने जो थमा दिया वही लेकर चल दिए
खुल गया उन की आरज़ू में ये राज़
ज़ीस्त अपनी नहीं पराई है
आरज़ू थी कि एक लम्हा जी लूँ
तेरे कन्धे पे सर रख के
मग़र ख्वाब तो ख्वाब हैं
पूरे कब होते हैं
तेरा ही ख़याल है रात-दिन
मेरी सोच में मकीं तू ही तू
थाम लेना हाथ मेरा कभी पीछे जो छूट जाऊँ
मना लेना मुझे जो कभी तुमसे रूठ जाऊँ
न खुशी की तलाश है न गम-ए-निजात की आरजू
मैं खुद से भी नाराज़ हूँ तेरी नाराजगी के बाद
छोड़ दी हमने हमेशा के लिए
उसकी आरजू करना
जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो
उसे दुआओ मे क्या मांगना
रखी न होती जो कुछ आरजू मोहब्बत की
दिल-ओ-दिमाग़ से हम भी हिले नहीं होते
Aarzoo Shayari Picture
आरज़ू तेरी बरक़रार रहे
दिल का क्या है रहा रहा न रहा
उलझी सी ज़िन्दगी को सवारने की
आरजू में बैठे हैं
कोई अपना दिख जाए
शायद उसे पुकारने को बैठे है
हम खुदा थे गर न होता दिल में कोई मुद्दा
आरजुओं ने हमारी हमको बन्दा कर दिया
हम क्या करें अगर न तिरी आरज़ू करें
दुनिया में और भी कोई तेरे सिवा है क्या
हर बार उसी से गुफ़्तगू सौ बार उसी की आरज़ू
वो पास नहीं होता तो भी रहता है मेरे रूबरू
तुम्हारी आरज़ू मे मैने अपनी आरज़ू की थी
ख़ुद अपनी जुस्तुजू का आप हासिल हो गया हूँ मै
इक वक़्त था कि दिल को सुकूँ की तलाश थी
और अब ये आरज़ू है कि दर्द-ए-निहाँ रहे
क्या वो ख़्वाहिश कि जिसे
दिल भी समझता हो हक़ीर
आरज़ू वो है जो सीने में रहे
नाज़ के साथ
वो पास नहीं होता तो भी
रहता है मेरे रूबरू
तुझे पाने की आरज़ू में तुझे गंवाता रहा हूँ
रुस्वा तेरे प्यार में होता रहा हूँ
मुझसे ना पूछ तू मेरे दिल का हाल
तेरी जुदाई में रोज़ रोता रहा हूँ
साँस रूक जाये भला ही तेरा इन्तज़ार करते-करते
तेरे दीदार की आरज़ू हरगिज कम ना होगी
आने लगा हयात को अंजाम का ख्याल
जब आरजुएं फैल-कर इक दाम बन गयीं
आरजू इश्क़ मोहब्बत इसमे कभी आना नहीं
जीना है अगर शान से तो किसी से दिल लगाना नहीं
ख्वाइश बस इतनी सी है की तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो
आरज़ू ये नही की लोग वाह वाह करे
छोड़ दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करना
जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ मे क्या मांगना
ख़त लिखूं तो क्या लिखूं आरजू मदहोश है
ख़त पे गिर रहे हैं आंसू और कलम खामोश है
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