Safar Ki Shayari In Hindi
हर गाम हादसा है ठहर जाइए जनाब
रस्ता अगर हो याद तो घर जाइए जनाब
दिन का सफ़र तो कट गया सूरज के साथ साथ
अब शब की अंजुमन में बिखर जाइए जनाब
मुझे ख़बर थी मेरा इन्तजार घर में रहा
ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
सफ़र से लौट जाना चाहता है
परिंदा आशियाना चाहता है
कोई स्कूल की घंटी बजा दे
ये बच्चा मुस्कुराना चाहता है
क्या बताऊँ कैसे खुद को दरबदर मैंने किया उम्र भर
किस-किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया
तू तो नफ़रत भी न कर पायेगा इस शिद्दत के साथ
जिस बला का प्यार बेखबर तुझसे मैंने किया
एक लम्हे का सफ़र है दुनिया
और फिर वक़्त ठहर जाता है
चंद ख़ुशियों को बहम करने में
आदमी कितना बिखर जाता है
जितना कम सामान रहेगा
उतना सफ़र आसान रहेगा
जब तक मंदिर और मस्जिद हैं
मुश्किल में इंसान रहेगा
Safar Zindagi Ka Shayari
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफिला साथ और सफ़र तन्हा
अपने साये से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा
मैं अकेला बहोत देर चलता रहा
अब सफ़र जिंदगानी का कटता नही
जब तलक़ कोई रंगीन सहारा ना हो
वक्त काफ़िर जवानी का कटता नही
ज़िंदगी है मुख़्तसर आहिस्ता चल
कट ही जाएगा सफ़र आहिस्ता चल
एक अंधी दौड़ है किस को ख़बर
कौन है किस राह पर आहिस्ता चल
दिल से मांगी जाए तो हर दुआ में असर होता है
मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनकी जिंदगी में सफ़र होता है
मशहूर हो जाते हैं वो जिनकी हस्ती बदनाम होती है
कट जाती है जिंदगी सफ़र में अक्सर जिनकी
मंजिलें गुमनाम होती हैं
मुसीबतें लाख आएंगी जिंदगी की राहों में रखना तू सबर
मिल जाएगी तुझे मंजिल इक दिन बस जारी रखना तू सफ़र
रहेंगे दर्द जिंदगी में तो ख़ुशी का इंतजाम क्या होगा
निकल पड़े हैं जो बदलने खुद को
न जाने इस सफ़र का अंजाम क्या होगा
जो आता है वो जाता है ये दुनिया आनी जानी है
यहां हर राह मुसाफिर है और सफर मेँ जिँदगानी है
ज़िंदगी का सफ़र तय तो करते रहे
रात कटती रही दिन गुज़रते रहे
Safar Shayari 2 Lines
मंजिल बड़ी हो तो सफ़र में कारवां छूट जाता है
मिलता है मुकाम तो सबका वहम टूट जाता है
सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना है
अब आसमान तलक रास्ता बनाना है
सिर्फ़ दरवाज़े तलक जा के ही लौट आया हूँ
ऐसा लगता है कि सदियों का सफ़र कर आया हूँ
ये उम्र भर का सफ़र है इसी सहारे पर
कि वो खड़ा है अभी दूसरे किनारे पर
हम-सफ़र थम तो सही दिल को सँभालूँ तो चलूँ
मंज़िल-ए-दोस्त पे दो अश्क बहा लूँ तो चलूँ
जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे
चाँद के हमराह हम हर शब सफ़र करते रहे
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई
सफ़र से जुड़ी शायरी
चले थे जिस की तरफ़ वो निशान ख़त्म हुआ
सफ़र अधूरा रहा आसमान ख़त्म हुआ
इन अजनबी सी राहों में, जो तू मेरा हमसफ़र हो जाये
बीत जाए पल भर में ये वक़्त, और हसीन सफ़र हो जाये
सफ़र में ऐसे कई मरहले भी आते हैं
हर एक मोड़ पे कुछ लोग छूट जाते हैं
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
न जाने कौन सा मंज़र नज़र में रहता है
तमाम उम्र मुसाफ़िर सफ़र में रहता है
ख़ामोश ज़िंदगी जो बसर कर रहे हैं हम
गहरे समुंदरों में सफ़र कर रहे हैं हम
धीरे धीरे ढलते सूरज का सफ़र मेरा भी है
शाम बतलाती है मुझ को एक घर मेरा भी है
कितना बेकार तमन्ना का सफ़र होता है
कल की उम्मीद पे हर आज बसर होता है
हम-सफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँ
राह चलते लोग क्या समझें मेरी मजबूरियाँ
Safar Shayari In Hindi
है थोड़ी दूर अभी सपनों का नगर अपना
मुसाफ़िरो अभी बाक़ी है कुछ सफ़र अपना
वही तवील सी राहें सफ़र वही तन्हा
बड़ा हुजूम है फिर भी है ज़िंदगी तन्हा
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
कोई रस्ता है न मंज़िल न तो घर है कोई
आप कहियेगा सफ़र ये भी सफ़र है कोई
क्या बताऊँ कैसा ख़ुद को दर-ब-दर मैंने किया
उम्र-भर किस किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया
मंज़िलों से बेगाना आज भी सफ़र मेरा
रात बे-सहर मेरी दर्द बे-असर मेरा
हो जायेगा सफ़र आसां आओ साथ चलकर देखें
कुछ तुम बदलकर देखो कुछ हम बदलकर देखें
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं
Hindi Quotes On Travel
एक सफ़र वो है जिस में पाँव नहीं दिल दुखता है
वो लुत्फ़ उठाएगा सफ़र का आप-अपने में जो सफ़र करेगा
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली
मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूँ मगर
सफ़र सफ़र है मेरा इंतिज़ार मत करना
है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को
कितना सफ़र हुआ है कितना सफ़र रहा है
आए ठहरे और रवाना हो गए
ज़िंदगी क्या है, सफ़र की बात है
सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में
मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँडती रही
आज फिर से उसकी यादों में खो गया मैं
पूछा जो मुझसे किसी ने मुहब्बत का सफ़र कैसा था
तुमसे ना कट सकेगा अंधेरों का ये सफ़र
के अब शाम हो रही है मेरा हाथ थाम लो
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा
मेरी तक़दीर में मंज़िल नहीं है
ग़ुबार-ए-कारवाँ है और मैं हूँ
Suhana Safar Shayari Hindi
अजीब सी पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की लकीरों में
लिखा तो है सफ़र मगर मंज़िल का निशान नहीं
ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ दूर के साथी हैं
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है
आज तक उस थकान से दुख रहा है बदन
एक सफ़र किया था मैंने ख़्वाहिशों के साथ
हम जुदा हो गए आग़ाज़-ए-सफ़र से पहले
जाने किस सम्त हमें राह-ए-वफ़ा ले जाती
ये भी इक शर्त-ए-सफ़र है हम-सफ़र कोई न हो
जिस किसी भी रास्ते को तय करूँ तन्हा करूँ
समुंदरों के सफ़र जिन के नाम लिक्खे थे
उतर गए वो किनारों पे कश्तियाँ ले कर
इक क़दम के फ़ासले पर दोनों आ कर रुक गए
बस यही मंज़िल सफ़र की आख़िरी अच्छी लगी
दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे
एक लम्हे में सिमट आया है सदियों का सफ़र
ज़िंदगी तेज़ बहुत तेज़ चली हो जैसे
मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा
तुम्हें पता ये चले घर की राहतें क्या हैं
हमारी तरह अगर चार दिन सफ़र में रहो
उम्र भर चल के भी पाई नहीं मंज़िल हम ने
कुछ समझ में नहीं आता ये सफ़र कैसा है
राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें
रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो
हज़ार राह चले फिर वो रहगुज़र आई
कि इक सफ़र में रहे और हर सफ़र से गए
हम-सफ़र हो तो कोई अपना-सा
चाँद के साथ चलोगे कब तक
हम-सफ़र ढूँडो न रहबर का सहारा चाहो
ठोकरें खाओगे तो ख़ुद ही सँभल जाओगे
कोई चले तमाम उम्र कोई सिर्फ़ दो क़दम
कहाँ है मंज़िलों की हद सफ़र सफ़र की बात है
उम्र-सफ़र जारी है बस ये खेल देखने को
रूह बदन का बोझ कहाँ तक कब तक ढोती है
अजब मुसाफ़िर हूँ मैं मेरा सफ़र अजीब
मेरी मंज़िल और है मेरा रस्ता और
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं
सफ़र में अब मुसलसल ज़लज़ले हैं
वो रुक जाएँ जिन्हें गिरने का डर है
पहलू में मेरे दिल को न ऐ दर्द कर तलाश
मुद्दत हुई तबाही का मारा सफ़र में है
इन्हीं रास्तों ने जिन पर मिरे साथ तुम चले थे
मुझे रोक रोक पूछा तिरा हम-सफ़र कहाँ है
सूरज की मानिंद सफ़र पे रोज़ निकलना पड़ता है
बैठे-बैठे दिन बदलेंगे इसके भरोसे मत रहना
हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे
उरूज पर है चमन में बहार का मौसम
सफ़र शुरू ख़िज़ाँ का यहाँ से होता है
यूँ किस तरह कटेगा कड़ी धूप का सफ़र
सर पर ख़याल-ए-यार की चादर ही ले चलें
वापसी का सफर अब मुमकिन नही
हम तो निकल पड़े आँख से आँसू की तरह
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