उन्हे रुसवाई का दुख, हमे तन्हाई का डर
गिला वो भी नही करते, शिकवा हम भी नही करते
किसी मोड़ पर मुलाकात हो जाती है अक्सर
रुका वो भी नही करते, ठहरा हम भी नही करते
जब भी देखते हैं उन्हे, सोचते है कुछ कहें उनसे
सुना वो भी नही करते, कहा हम भी नही करते
लेकिन ये भी सच है, की मोहब्बत उन्हे भी हे हमसे
इकरार वो भी नही करते, इज़हार हम भी नही करते
Izhaar Shayari Images
लोग कहते है तुम क्यों अपने
प्यार का इज़हार नहीं करते
हम ने कहा जो लब्जों में बयां हो जाये
सिर्फ़ उतना हम किसी से प्यार नहीं करते
बड़ी मुश्किल में हूँ कैसे इज़हार करूँ
वो तो खुशबु है उसे कैसे गिरफ्तार करूँ
उसकी मोहब्बत पर मेरा हक़ नहीं लेकिन
दिल करता है आखिरी सांस तक उसका इंतज़ार करूँ
दिल की आवाज़ को इज़हार कहते है
झुकी निगाह को इकरार कहते है
सिर्फ पाने का नाम इश्क नहीं
कुछ खोने को भी प्यार कहते है
इश्क का कभी हमने इंकार नहीं किया
पर इस दिल को कभी इतना बेक़रार नहीं किया
बस आँखों में उनके सपने सजाये रखे है मगर
कभी हमने होंठों से इश्क का इजहार नहीं किया
तमन्ना है मेरे दिल की सनम एक बार हो जाये
जाते जाते दुनिया से तेरा दीदार हो जाये
मुहब्बत मैं भी करती हूँ मुहब्बत तुम भी करते हो
ज़माने से है क्या डरना चलो इज़हार हो जाये
आज रोकिये न हमे अपनी दिल का बात करने से
कितना सारा करते है प्यार ये इजहार करने से
आज दिल में जो उठा हैं तूफान वो रूकेगा तब
जब आप लगाएंगे हमे कसके अपने सीने से
इज़हार शायरी
ग़म का इज़हार भी करने नहीं देती दुनिया
और मरता हूँ तो मरने नहीं देती दुनिया
सब ही मय-ख़ाना-ए-हस्ती से पिया करते हैं
मुझ को इक जाम भी भरने नहीं देती दुनिया
आज इज़हार-ए-इश्क होना है
आज इकरार-ए-इश्क होना है
आज इश्क का दिन है दोस्तों
आज गुलज़ार-ए-इश्क होना है
आज वार दिया सब इश्क में
आज निसार-ए-इश्क होना है
आज जरूरत नही मैखाने की
आज ख़ुमार-ए-इश्क होना है
इश्क़ इज़हार तक नहीं पहुंचा
शाह दरबार तक नहीं पहुंचा
चारागर भी निजात पा लेते
जहर बीमार तक नहीं पहुंचा
मेरी किस्मत की मेरे दुश्मन भी
मेरे मयार तक नहीं पहुंचा
उससे बातें तो खूब की लेकिन
सिलसिला प्यार तक नहीं पहुंचा
Best Izhaar Poetry
उन्हे इज़हार करना नही आया
उन्हे हमे प्यार करना नही आया
हम बस देखते ही रह गये और
वक़्त को थमना नही आया
वो चलते चलते इतने दूर चले गये
हमे रोकना भी नही आया
इज़हार क्यों किया था
इकरार क्यों किया था
जब जाना बहुत दूर
फिर प्यार क्यों किया था
ना थी कोई रंजिश और
ना थी कोई शिकायत
जब हार गया दिल तुझपे
ये वार क्यों किया था
कहा था तुम से मेरा इंतज़ार करना
दुनिया चाहे जो कहे तुम ऐतबार न करना
दिन रात कट रहे हैं अब तो उसी के ख्यालो में
वो लम्हें, वो रातें,उनको याद बार बार न करना
ज़िन्दगी तनहा ही सही कट रही है अब तक
किसी ने कहा था, मोहब्बत का इज़हार न करना
हम भी प्यार का इज़हार करेंगे
तेरी इश्क़ में जान भी निसार करेंगे
देख के जलेगी दुनिया सारी
इस कदर तुझसे प्यार करेंगे
देंगे सलामी सब आशिक़ हमको
जब प्यार को हम बयाँ करेंगे
कोई जब हमसे प्यार करता है
नही क्यूं फिर इजहार करता है
फिर भी कोशिश बार बार करता है
जब भी पूछो बस इन्कार करता है
इज़हार, एतबार और इनकार, फासले अल्फ़ाज़ों के हैं
जब भी चाहो गुफ़तगू कर लो, मामलें तो हम मिज़ाज़ों के हैं
कोई सोंचता नहीं इम्तिहान लेने के खातिर
टूटते कितने दिल हम ख्यालों के हैं
Izhaar Shayari In Hindi For Girlfriend
ज़ख़्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें
हम खुद निशाना बन गए वार क्या करें
मर गए हम मगर खुली रही ये आँखें
अब इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करें
आँखों की गहराई को समझ नहीं सकते
होंठो से कुछ कह नहीं सकते
कैसे इज़हार करे हम आपको ये दिल का हाल
की तुम ही हो जिसके बिना हम रह नहीं सकते
कब उनकी पलकों से इज़हार होगा
दिल के किसी कोने में हमारे लिए प्यार होगा
गुज़र रही है हर रात उनकी याद में
कभी तो उनको भी हमारा इंतज़ार होगा
दिल यह मेरा तुमसे प्यार करना चाहता हैं
अपनी मोहब्बत का इज़हार करना चाहता है
देखा हैं जब से तुम्हे ऐ मेरे हमदम
सिर्फ तुम्हारा ही दीदार करना चाहता है
हर घडी तेरा दीदार किया करते हैं
हर ख्वाब में तुझसे इज़हार किया करते हैं
दीवाने हैं तेरे हम यह इक़रार करते हैं
जो हर वक़्त तुझसे मिलने की दुआ किया करते हैं
बेकरारी है मेरे रातो मे मगर तू चैन से सो जाता है
इजहार है मेरे लफ्जो मे मगर तू सुन कहां पाता है
इंतजार है मेरे हर लम्हो मे मगर तू नही आता है
मैं लफ़्ज़ों से कुछ भी इज़हार नही करता
इसका मतलब ये नई के मैं तुझे प्यार नही करता
चाहता हूँ मैं तुझे आज भी पर
तेरी सोच मे अपना वक़्त बेकार नही करता
नही जरूरत किसी गुलब की और
ना ही शब्दो का इस्तेमाल करो
झुका कर पलको से इजहार करो
मोहब्बत का तुम कुछ ऐसे इकरार करो
मिले वक्त तो याद करना
कुछ पल अपना मेरे नाम करना
जहन मे छुपे समस्याओ को हल कर दूंगा
दस समस्याओ का खुलकर इजहार करना
ढूंढना ही है तो मुझे अपने दिल के अंदर ढूंढो
यहां वहां क्यूं ढूंढती हो
प्यार करती हो तो आंके इजहार करो
यूं पीछा क्यूं किया करती हो
कई ख्वाइश कई इज़हार बाकी है
तुझसे जुड़ा इंतज़ार बाकी है
सांसो का छूट जाना तो मुक़द्दर है मगर
मेरा ज़िन्दगी से कुछ करार बाकी है
तेरी आवाज़ से प्यार है हमें
इतना इज़हार हम कर नहीं सकते
हमारे लिए तू उस खुदा की तरह है
जिसका दीदार हम कर नहीं सकते
वो करीब ही न आये तो इज़हार क्या करते
खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते
मर गए पर खुली रखी आँखें
इससे ज्यादा किसी का इंतजार क्या करते
नज़रें मेरी थक न जायें
कहीं तेरा इंतज़ार करते-करते
यह जान मेरी यूँ ही निकल ना जाये
तुम से इश्क़ का इज़हार करते-करते
मेरे सामने वो प्यार – ए – इजहार करते है
पीठ पीछे वो बाते हजार करते है
वही कह पाते की चाहते नही हमे
हर बार बस यही झूठा प्यार करते है
Pyar Ka Izhaar Shayari Ke Sath
प्यार मे एहसास जरूरी है
दिल का इजहार जरूरी है
बन जाए रिश्ता अगर तो
विश्वास जरूरी है
कुछ काम नही था तुझे याद कर लिया
दिल मे की दर्द नही था तुझसे प्यार कर लिया
धीरे धीरे अपनी जान तेरे नाम कर दिया
इस जख्मी दिल से फिर अपने प्यार का इजहार कर दिया
नहीं करता इज़हारे-ऐ-इश्क़ वो
पर रहता है मेरे करीब है वो
देखूँ उसकी आँखों में तो शर्मा जाता है वो
हाय मेरा यार भी कितना कमाल है
इज़हार क्यों किया था, इकरार क्यों किया था
जब जाना बहुत दूर, फिर प्यार क्यों किया था
ना थी कोई रंजिश, और ना थी कोई शिकायत
जब हार गया दिल तुझपे, ये वार क्यों किया था
उन को चाहना मेरी मोहब्बत है
उन्हें कह न पाना मेरी मजबूरी है
वो खुद क्यों नही समझता मेरे दिल की बात को
क्या प्यार का इज़हार करना ज़रूरी है
बाते तो कर लेता हूं थोड़ी बहुत हर किसी से मै
लेकिन इजहार नही कर पाता हूं
कि कहीं फिर से टूटकर बिखर न जाऊं कभी इस डर से
किसी से प्यार नही कर पाता हूं
इजहार ए इश्क का अन्दाज ही निराला था
तुम्हे जो मुझसे रब ने मिलाया था
तेरे इन्कार का सवाल ही न था
मैने जो तुम्हे अपना बनाया था
इकरार है पर इजहार नही करते है
पहले जैसा अब किसी पर ऐतबार नही करते है
टूटा है दिल हमारा भी मोहब्बत की इस आज्माईशो मे
इसलिए ये गलती हम बार-बार नही करते है
कब तक वो मेरा होने से इंकार करेगा
खुद टूटकर वो एक दिन मुझसे प्यार करेगा
प्यार की आग मे उसको इतना जला देंगे
कि इजहार वो मुससे सरे – बाजार करेगा
Izhaar Shayari Hindi
सब इजहार करने लगे है
हम इंतजार करने मे लगे है
ये कैसी मोहब्बत है
हम उनका दीदार पाने को भी तरसने लगे है
कसूर तो था इन निगाहों का
जो चुपके से उनका दीदार कर बैठी
हमने तो खामोश रहने की ठानी थी
पर बेवफा जुबान इज़हार कर बैठी
झुकी हुई नज़रों से इज़हार कर गया कोई
हमें खुद से बे-खबर कर गया कोई
युँ तो होंठों से कहा कुछ भी नहीं
आँखों से लफ्ज़ बयां कर गया कोई
बाहर के शोर की किसको परवाह है
मुझे तो तुम्हारी खामोशी से भी प्यार है
चाहे तो जुबान से कुछ कहे या न कहें
मुझे हासिल ऐ सनम तेरा अनकहा इजहार है
प्यार का जो इजहार तूने किया मुझसे तो
रूकी धड़कन और सांसे ठहर गई
एक हंसी ख्वाब सा लगा तेरा इजहार
करने मे यकी पूरा रात गुजर गई
जिसको चाहो उसे चाहत बता भी देना
कितना प्यार है उससे ये जता भी देना
यूँ ना हो की उसका दिल कहीं और लग जाये
करके इजहार उसके दिल को चुरा भी लेना
इश्क़ वही है जो हो एकतरफा हो
इज़हार-ऐ-इश्क़ तो ख्वाहिश बन जाती है
है अगर मोहब्बत तो आँखों में पढ़ लो
ज़ुबान से इज़हार तो नुमाइश बन जाती है
हर घड़ी तेरा दीदार किया करते है
हर ख्वाब मे तुझसे इजहार किया करते है
दीवाने है तेरे हम यह इकरार करते है
जो हर वक्त तुमसे मिलने की दुआ किया करते है
बड़ी मुश्किल में हूँ कैसे इज़हार करूँ
वो तो खुशबु है उसे कैसे गिरफ्तार करूँ
उसकी मोहब्बत पर मेरा हक़ नहीं लेकिन
दिल करता है आखिरी सांस तक उसका इंतज़ार करूँ
Pyar Ka Izhaar Shayari 2 Line
वक्त ही कितना लगता है इजहार ए मोहब्बत मे
पर जनाब जिंदगी बीत जाती है निभाने मे
झुकी हुई नजरो से इजहार ए इश्क हो रहा था
कैसे बचाते दिल को जब कातिल से ही इश्क हो रहा था
आस टूटने का भय लिए बैठे है विचार में
बड़े असमंजस मे है चाहत के इजहार में
मुहब्बत का कभी इज़हार करना ही नहीं आया
मेरी कश्ती को दरिया पार करना ही नहीं आया
माना कि हमे इजहार ए इश्क करना नही आता
तुम तो पढ़े लिखे हो क्या तुम्हे आंखे भी पढ़ना नही आता
वो ख्वाबो मे आते रहे मिलने
हम घर पहुंच गये इजहार करने
दिल लुट जाने का इजहार जरूरी तो नही
ये तमाशा सर – ए – बाजार जरूरी तो नही
हमारे इजहारे इश्क पर वो न जाने क्यो बेरूखी दिखा रहे है
मेरे इश्क का इम्तिहां ले रहे या अपना सब्र आजमा रहे है
भीगते बारिश के इस मौसम में कुछ ऐसे उनका दीदार हुआ
एक पल में उनसे महोब्बत हुई ज़िन्दगी भर उसका इज़हार हुआ
जिंदगी मे इश्क नही जिंदगी से इश्क कर
बस जिन्दगी को इजहार और बाकी को इकरार कर
है मोहब्बत कहां हम इन्कार करते है
इश्क है तुमसे चलो आज हम इजहार करते है
लबो से बोल दिलो को खोल हंस के इजहार कर
क्यों बैठे हो तालाब पर उतर लिपट मुझे प्यार कर
क्या मैने गुनाह किया है
सिर्फ तो इजहार किया है
Izhaar Shayari In Hindi
प्यार का इजहार था कि मुझे कोई नयी ख्वाब दे गई
पढ़ने को ली जब किताब रखकर उसमे गुलाब दे गई
इश्क के इजहार मे हर चांद रूस्वाई तो है
पर करूं क्या अब तबियत आप पर आई तो है
इज़हार-ए-मुहब्बत के बाद भी मुहब्बत आधी-अधूरी रह जाए
इससे तो बेहतर होगा कि मुहब्बत इक तरफ़ा ही निभाई जाए
आंखे ये तब भी रोती है, जब अपनी मोहब्बत को इजहार करता हूं
आंखे ये तब भी रोती है, जब तेरी मोहब्बत को इन्कार करता हूँ
इज़हार-ऐ-याद कहूँ या पूछूँ हाल-ऐ-दिल उनका
ऐ दिल कुछ तो बहाना बता उनसे बात करने का
मैने कब कहा की तुमसे प्यार नही करता
हां ये बात सच है की तुमसे इजहार नही करता
अच्छा करते हैं वो लोग जो मोहब्बत का इज़हार नहीं करते
ख़ामोशी से मर जाते हैं मगर किसी को बदनाम नहीं करते
बेकरारी है मेरे रातो मे मगर तू चैन से सो जाता है
इजहार है मेरे लभ्जो मे मगर तू सुन कहां पाता है
हमने हमारे इश्क़ का इज़हार यूँ किया
फूलों से तेरा नाम पत्थरों पे लिख दिया
सच बताओ इश्क है या फिर इजहार ही करते फिरते हो
दिल तो है ना अपनी जगह पर जनाब
या फिर हर किसी से प्यार ही करते फिरते है
Pyar Ke Izhaar Ki Shayari
काश वह आये इश्क का इजहार करने
मेरी कब्र पे इक दिन
मै भी एक और जिन्दगी की दुआ मांगू
उनपे कुर्बान होने के लिए
इज़हार कर देना वरना,
एक ख़ामोशी उम्रभर का इंतजार बन जाती है
ना कोई हक है ना ही कोई रोक है
ना कोई इजहार है ना ही कोई इनकार है
अब कुछ इस तरह उनके और हमारे बीच का प्यार है
मेरी फितरत में नहीं अपने ग़म का इज़हार करना
अगर उसके वजूद का हिस्सा हूँ मैं तो
खुद महसूस करे वो तकलीफ मेरी
अपनी मुहब्बत का इजहार लिख दो
दीवाने हो जाएं जिसे पढ़कर हम
कुछ ऐसा एक बार लिख दो
ये इश्क क्या मुझे तो इजहार करना भी नही आता
और जो इश्क ए इल्म की पढ़ाई कर बैठे है
उसे तो इश्क निभाना ही नही आता पर खैर जो भी बात हो
इजहार ना सही पर ये एक तरफा प्यार तो जरूर है
मैं अपनी मुहब्बत का शिकवा तुमसे कैसे करुं
मुहब्बत तो हमने की हैं तुम तो बेकसूर हो
यार बता दे ज़रा कैसे करुँ मेँ इजहार ए ईश्क
शायरी वह समझती नहीँ और अदाए हमें आती नहीँ
किसी भी तरह वो इज़हार तो करे इक बार
नज़र से कह के ज़ुबाँ से भले मुकर जाये
इजहार ए इश्क मे क्या हार ए दिल कहूं
दिल मे है वही पर लफ्ज है कि सुनते नही
सुनो ! मै न चुपके से इजहार कर दूंगा किसी बहाने से
तुम न अपना वक्त जाया मत करना मुझे आजमाने मे
चलो माना कि हमे प्यार का इजहार करना नही आता
पर जज्बात न समझ सको इतने नादान तो तुम भी नही
इजहार ऐ इश्क तो कई दफा किया हमने आंखो से
पर वो नासमझ होठो से इकरार का ही इंतजार करते रह गये
मेरी बाते हमेशा बेअसर ही रही
ना जाने क्या कमी रह गई इजहार मे
हज़ारों दफा कर दिया है इज़हार ए इश्क इन आँखों नें
तुम वाकई नहीं समझे या बस यूँ ही अनजान बने बैठे हो
लफ्ज़ मेरा साथ देते नहीं, अब तुम ही बताओ ?
हम उनसे इज़हार-ए-इश्क करें तो कैसे
ये बात और है कि इज़हार ना कर सकेँ
नहीँ है तुम से मोहब्बत भला ये कौन कहता
वो सज़दा ही क्या जिसमे सर उठाने का होश रहे
इज़हार ए इश्क़ का मजा तब जब मैं बेचैन रहूँ
और तू ख़ामोश रहे
उनके जाहर ए मोहब्बत से पगला से गये
इकरार की हिम्मत ना भी इनकार कर बैठे
तेरी आँखो का इज़हार मै पढ़ सकता हूँ पगली
किसी को अलविदा युँ मुस्कुराकर नहीं कहते
मेरी शायरी मेरे तजुरबो का इज़हार है, और कुछ भी नही
सोचता हूँ की कोई तो संभल जाएगा, मुझे पढने के बाद
उनके इनकार में भी इजहार नजर आता है
तभी तो घाव देने के बाद भी मरहम लगा रहे है
जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है
रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है
इज़हार-ए-इश्क करो उससे
जो हक़दार हो इसका
बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते
इज़हार-ए-इश्क करें तो कैसे
वो नज़रें मिलाता नहीं
बेशक तू बदल ले अपनी मौहब्बत लेकिन ये याद रखना
तेरे हर झूठ को सच मेरे सिवा कोई नही समझ सकता
इश्क का इल्म तो इश्कजादो को होता है जनाब
हम तो इजहार ए इश्क भी ना कर पाए
कर दिया हमनें भीं इज़हार-ए-मोहब्बत फोन पर
लाख रूपये की बात थी, एक रूपये में हो गयी
तुझसे मैं इज़हार -ए-मोहब्बत इसलिए भी नहीं करता
सुना है बरसने के बाद बादल की अहमियत नहीं रहती
वो कहती है अगर मोहब्बत है तो इजहार करो
हर बात लफ्जो से बयां हो ये जरूरी तो नही
एक इज़हार-ए-मोहब्बत ही बस, होता नहीं हमसे
हमसा माहिर जहाँ में वरना और कौन है
एक वक्त था की इजहार ए मोहब्बत के हमे शब्द नही मिलते थे
मेहरबानी तेरी बेवफाई की हमको शायर बना दिया
अब हम इजहार कैसे करे यारो उनसे
जो इश्क के महीने मे हमसे खफा हुए बैठे है
चाह कर भी इश्क़-ए-इज़हार जो हम कर ना सके
हमारी ख़ामोशी पढ़ लो तुम और क़ुबूल कर लो हमें
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